Home Top News शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है बीमा संशोधन विधेयक, 100 प्रतिशत तक FDI की संभावना

शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है बीमा संशोधन विधेयक, 100 प्रतिशत तक FDI की संभावना

by Sanjay Kumar Srivastava
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Finance Minister Nirmala Sitharaman

Insurance Amendment Bill: सीतारमण ने कहा कि यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो भारत में संपूर्ण प्रीमियम का निवेश करती है.

Insurance Amendment Bill: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई (FDI) का प्रस्ताव करने वाला बीमा संशोधन विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है. संसद का शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के उत्तरार्ध में शुरू होता है और क्रिसमस से पहले समाप्त होता है. जब उनसे पूछा गया कि क्या बीमा क्षेत्र में एफडीआई को और उदार बनाने वाला विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है, तो उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि मुझे उम्मीद है. वित्त मंत्री ने इस वर्ष के बजट भाषण में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र सुधारों के हिस्से के रूप में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा कि यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो भारत में संपूर्ण प्रीमियम का निवेश करती है.

आर्थिक विकास और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

विदेशी निवेश को सरल बनाया जाएगा. अब तक बीमा क्षेत्र ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ((FDI) के माध्यम से 82,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए हैं. वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना, चुकता पूंजी में कमी और एक समग्र लाइसेंस का प्रावधान शामिल है. एक व्यापक विधायी अभ्यास के हिस्से के रूप में, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में बीमा अधिनियम 1938 के साथ संशोधन किया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने और बीमा बाजार में अधिक खिलाड़ियों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने पर केंद्रित है, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा.

अभी 74 प्रतिशत है FDI

कहा कि ऐसे बदलावों से बीमा उद्योग की दक्षता बढ़ाने, व्यापार करने में आसानी और बीमा पैठ बढ़ाने में मदद मिलेगी ताकि ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ का लक्ष्य हासिल किया जा सके. 1938 का बीमा अधिनियम भारत में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम है. यह बीमा व्यवसायों के कामकाज के लिए ढांचा प्रदान करता है और एक बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और नियामक IRDAI के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है. वित्त मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में और अधिक खिलाड़ियों के प्रवेश से न केवल पैठ बढ़ेगी बल्कि देश भर में अधिक रोजगार सृजन भी होगा. वर्तमान में भारत में 25 जीवन बीमा कंपनियां और 34 गैर-जीवन या सामान्य बीमा फर्म हैं, जिनमें एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड और ईसीजीसी लिमिटेड जैसी विशेष सामान्य बीमा कंपनियां भी शामिल हैं. बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा आखिरी बार 2021 में 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की गई थी. 2015 में सरकार ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई कैप को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया.

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