अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की हेल्थ को लेकर ISRO ने हाल ही में बड़ा अपडेट जारी किया है. बता दें कि अंतरिक्ष से धरती पर शुभांशु की सुरक्षित वापसी ने देश को गौरवान्वित किया है.
ISRO on Shubhanshu Shukla Health: इसरो ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की हेल्थ को लेकर बड़ा अपडेट दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को कहा कि 20 दिनों के अंतरिक्ष मिशन के बाद पृथ्वी पर लौटे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के इनिशियल हेल्थ असेसमेंट से संकेत मिलता है कि उनकी हालत स्थिर है और उन्हें तत्काल कोई चिंता नहीं है. शुभांशु शुक्ला 15 जून को पृथ्वी पर लौटे थे, जब उन्हें और एक्सिओम-4 मिशन के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान कैलिफॉर्निया के सैन डिएगो तट पर उतरा था.
रिकवरी शिप पर भी हुई जांच
अंतरिक्ष यान से बाहर निकलने के तुरंत बाद रिकवरी शिप पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों की प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच की गई. बाद में, अंतरिक्ष यात्रियों को आगे की चिकित्सा जांच और डीब्रीफिंग सत्रों के लिए रिकवरी शिप से हेलीकॉप्टर द्वारा मुख्य भूमि पर ले जाया गया. बाद में, शुभांशु शुक्ला को सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए एक सप्ताह के रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के लिए ह्यूस्टन ले जाया गया.
इसरो ने दी अहम जानकारी
इसरो ने कहा, “रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम का संचालन एक्सिओम के फ्लाइट सर्जन द्वारा किया जा रहा है और इसरो के फ्लाइट सर्जन भी इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं.” रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम में कई चिकित्सीय जांचें शामिल हैं, विशेष रूप से हृदय संबंधी जांच, मस्कुलोस्केलेटल परीक्षण और मनोवैज्ञानिक जांच. रिहैबिलिटेशन गतिविधियों में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के किसी भी प्रभाव का समाधान और उसे सामान्य गतिविधियों में वापस लौटने के लिए तैयार करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है. 20-दिवसीय मिशन के दौरान, शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 18 दिन बिताए, जहां उन्होंने इसरो और नासा द्वारा डिजाइन किए गए सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रयोगों का संचालन किया. अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष में अपने प्रवास के दौरान पृथ्वी की 320 बार परिक्रमा की और 135.18 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा की.
क्या था मिशन का उद्देश्य?
शुभांशु शुक्ला का एक्सिओम-4 मिशन, जो नासा, इसरो, और स्पेसएक्स के सहयोग से 25 जून 2025 को शुरू हुआ, का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना था. इस मिशन में शुभांशु ने सात भारतीय प्रयोग किए, जो माइक्रोग्रैविटी में जैविक, कृषि, और मानव अनुकूलन से संबंधित थे. ये प्रयोग भारत के गगनयान मिशन की तैयारी और भविष्य के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण थे. साथ ही, मिशन ने भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को प्रदर्शित कर वैश्विक प्रतिष्ठा और युवाओं को प्रेरित करने का लक्ष्य रखा.
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