Home Top News नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार: नेपाल के पशुपति से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक लाल गलियारे की योजना ध्वस्त

नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार: नेपाल के पशुपति से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक लाल गलियारे की योजना ध्वस्त

by Sanjay Kumar Srivastava
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Amit Shah

Major attack on Naxalism: मंत्रालय ने कहा कि नक्सल मुक्त भारत के निर्माण के मोदी सरकार की रणनीति से नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या छह से घटाकर तीन हो गई है.

Major attack on Naxalism: गृह मंत्रालय ने बुधवार को दावा किया कि नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या घटाकर तीन हो गई है. अब छत्तीसगढ़ में केवल बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं. गृह मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सीपीआई (माओवादी) के 88 सदस्यों ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण कर दिया है. यह नक्सल विरोधी अभियान की एक और सफलता है. मंत्रालय ने कहा कि नक्सल मुक्त भारत के निर्माण के मोदी सरकार की रणनीति से नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या छह से घटाकर तीन हो गई है.जबकि एलडब्ल्यूई प्रभावित जिले भी 18 से घटकर केवल 11 रह गए हैं.

31 मार्च तक खत्म हो जाएगी नक्सल समस्या

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ये 11 जिले बीजापुर, दंतेवाड़ा, गरियाबंद, कांकेर, मोहल्ला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, नारायणपुर और सुकमा (सभी छत्तीसगढ़), पश्चिमी सिंहभूम (झारखंड), बालाघाट (मध्य प्रदेश), गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) और कंधमाल (ओडिशा) हैं. मोदी सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सल समस्या को पूरी तरह से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है. गृह मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में इस साल ऑपरेशनल सफलताओं ने पिछले सभी रिकॉर्डों को पार कर लिया है, जिसमें 312 वामपंथी उग्रवादी कैडरों का सफाया कर दिया गया है. जिनमें सीपीआई (माओवादी) महासचिव और 8 अन्य पोलित ब्यूरो/केंद्रीय समिति के सदस्य शामिल हैं. 836 वामपंथी उग्रवादी कैडरों को गिरफ्तार किया गया है और 1,639 ने आत्मसमर्पण कर दिया है. ये सभी मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक केंद्रीय समिति का सदस्य है.

सरकार को मिली अभूतपूर्व सफलता

गृह मंत्रालय ने दावा किया है कि मोदी सरकार की राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति के कठोर कार्यान्वयन से नक्सल खतरे से निपटने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की गई है. कार्य योजना में सटीक खुफिया जानकारी का भी योगदान रहा है. इन कदमों के साथ क्षेत्र में तेजी से विकास और कल्याणकारी योजनाओं की लोगों तक पहुंच भी नक्सलवाद में कमी लाने का प्रमुख कारण रहा है. 2010 में तत्कालीन प्रधान मंत्री द्वारा भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती कहे जाने वाला नक्सलवाद अब स्पष्ट रूप से पीछे हट रहा है. गृह मंत्रालय ने दावा किया कि नक्सलियों ने नेपाल के पशुपति से लेकर आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक एक लाल गलियारे की योजना बनाई थी. लेकिन मोदी सरकार ने अभियान चलाकर नक्सलियों के मंसूबों को ध्वस्त कर दिया. बयान में कहा गया है कि 2013 में विभिन्न राज्यों के 126 जिलों में नक्सल-संबंधी हिंसा की सूचना मिली थी, लेकिन मार्च 2025 तक यह संख्या घटकर केवल 18 जिलों तक रह गई. जिनमें से केवल छह को सबसे अधिक प्रभावित जिलों के रूप में चिह्नित किया गया है.

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