पुलिस ने सोमवार को बताया कि आदिवासी समाजों में अंतिम संस्कार के दौरान आयोजित भोज में शामिल होने वाले लोगों को ‘हंडिया’ परोसने की प्रथा है.
Baripada (Odisha): ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक आदिवासी दंपत्ति और उसके तीन बच्चों को गांववालों ने इसलिए बहिष्कृत कर दिया क्योंकि परिवार के 67 वर्षीय बुजुर्ग की मौत के बाद आयोजित अंतिम संस्कार भोज में ‘हंडिया’ (पारंपरिक चावल की बीयर) नहीं परोसी गई थी. पुलिस ने सोमवार को बताया कि विभिन्न आदिवासी समाजों में अंतिम संस्कार के दौरान आयोजित भोज में शामिल होने वाले लोगों को ‘हंडिया’ परोसने की प्रथा है. आरोप है कि गांववाले बहिष्कृत किए गए परिवार के सदस्यों को गांव के तालाबों या ट्यूबवेल से पानी लेने या दुकानों से किराने का सामान खरीदने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.
पुलिस ने मामला सुलझाने के लिए दिया दो दिन का समय
मृतक के बेटे द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद पुलिस की एक टीम उनके गांव गई और ग्रामीणों से कहा कि वे दो दिनों के भीतर मामले को सुलझा लें अन्यथा कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें. सारत पुलिस स्टेशन की सीमा के अंतर्गत केसापाड़ा गांव के राम सोरेन की 27 मार्च को मृत्यु हो गई थी. संथाल समुदाय के सदस्यों ने परंपरा के अनुसार अनुष्ठान किया. सोरेन के बेटे संग्राम ने परंपरा के अनुसार एक महीने बाद 27 अप्रैल को सामुदायिक भोज का आयोजन किया. हालांकि, उन्होंने ग्रामीणों को भोज में ‘हंडिया’ नहीं परोसा, जिसके बाद उन्हें, उनकी पत्नी लच्छा और उनके बच्चों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया.
गांव वालों ने लगाया 2,000 रुपये जुर्माना भी
सारत पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत में संग्राम और उनकी पत्नी ने ग्रामीणों पर तालाबों या ट्यूबवेलों से पानी और यहां तक कि गांव की किराने की दुकानों तक पहुंचने न देने का आरोप लगाया. संग्राम की पत्नी लच्छा सोरेन ने संवाददाताओं से कहा कि ग्रामीण हमारे बच्चों सहित हमसे बात नहीं करते हैं. हमें ग्रामीणों द्वारा काम भी नहीं दिया जा रहा है जिससे हमारा जीवन दयनीय हो गया है. दंपति के तीन बच्चे हैं – एक 13 वर्षीय बेटी और 8 और 5 साल के दो बेटे. उसने दावा किया कि एक व्यक्ति ने उससे बात की और उसे समुदाय के सामाजिक बहिष्कार के आदेश का उल्लंघन करने के लिए 2,000 रुपये का जुर्माना भरने के लिए कहा.
हंडिया परोसने का कोई नियम नहींः पुजारी
भोज में शराब परोसने की परंपरा का पालन न करने के पीछे के कारण के बारे में पूछे जाने पर संग्राम ने कहा कि मेरे पिता शराब पीने के आदी थे, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई. हमने आदिवासी परिवारों को शराब की लत के कारण बर्बाद होते देखा है. इसलिए, मैंने भोज में हंडिया न परोसने का फैसला किया. संग्राम ने पुलिस में दर्ज अपनी शिकायत में गांव के तीन वरिष्ठ लोगों पर अपने परिवार को बहिष्कृत करने का आरोप लगाया है. संपर्क करने पर संथाल समुदाय के एक पुजारी ने कहा कि हमारे यहां अंतिम संस्कार के दौरान दिवंगत आत्मा को हंडिया चढ़ाने की परंपरा है. लेकिन सामुदायिक भोज में इसे परोसने का कोई धार्मिक नियम नहीं है. यह सब मृतक के परिवार की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है. वे चाहें तो हंडिया परोस सकते हैं, लेकिन उन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता.
चावल की बीयर है हंडिया
हंडिया एक पारंपरिक मादक चावल की बीयर है जो पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत के आदिवासी समुदायों के बीच लोकप्रिय है, खासकर ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में. इस बीच, सारत पुलिस स्टेशन के प्रभारी रमाकांत पात्रा के नेतृत्व में एक टीम ने गांव का दौरा किया और ग्रामीणों के साथ मामले पर चर्चा की. पात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि हमने ग्रामीणों को अवगत कराया कि वे किसी भी कारण से किसी भी परिवार को सामाजिक रूप से बहिष्कृत नहीं कर सकते. पुलिस ने उन्हें मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए दो दिन का समय दिया है.
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