Home National लाल किले पर दावे वाली याचिका SC ने की खारिज, महिला ने खुद को बताया था मुगलों का वशंज

लाल किले पर दावे वाली याचिका SC ने की खारिज, महिला ने खुद को बताया था मुगलों का वशंज

by Sachin Kumar
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Red Fort Case Petitioner Begum Supreme Court

Red Fort Case : एक महिला ने कोर्ट में यह कहकर याचिका दायर कर दी कि वह मुगलों की वंशज है और लाल किला उसको विरासत में मिला है इसलिए इसका मालिकाना हक मुझे मिलना चाहिए.

Red Fort Case : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें एक महिला ने खुद को मुगलों का वशंज बताते हुए लाल किले पर दावा किया था. महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि वह मुगल बादशाह जफर-द्वितीय के परपोते की विधवा है और इसलिए कानूनी रूप से वह लाल किले की असली उत्तराधिकारी है. मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने शुरू में ही याचिका पूरी तरह से गलत और निरर्थक करार दे दिया. बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसे सुनने से इनकार कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर खड़े किए सवाल

सुप्रीम कोर्ट की बेंच से याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम के वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं दी. इस पर वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के सदस्य हैं. इस पर CJI ने कहा कि अगर याचिका पर विचार किया जाए तो सिर्फ लाल किले पर क्यों? इसके अलावा आगरा का किला और फतेहपुरी सीकरी पर क्यों नहीं सुनवाई हो? दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले पर 13 दिसंबर, 2025 को बेगम द्वारा 2021 के एक उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया था जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि चुनौती ढाई साल के बाद याचिका को दायर किया गया है जिसे माफ नहीं किया जा सकता है.

ढाई साल तक नहीं की कोर्ट में याचिका दायर

इस पर याचिकाकर्ता बेगम ने कहा कि वह अपने स्वास्थ्य और अपनी बेटी के निधन की वजह से अपनी अपील दाखिल नहीं कर सकी थी जिस पर कोर्ट ने कहा कि हमें उक्त स्पष्टीकरण अपर्याप्त लगता है यह देखते हुए कि देरी ढाई साल से अधिक की है और हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर तुम्हारी बात को सही भी मान लिया जाए तो भी 164 सालों के बाद इस तरह के दावों पर विचार नहीं किया जा सकता है. इसके बाद ही याचिकाकर्ता ने मामले की सुनवाई करते हुए डबल बेंच ने मामले को ठुकरा दिया कि सीविल मामलों में सुनवाई की एक समय होती है. करीब 900 दिनों बाद दाखिल याचिका विचार के योग्य नहीं है.

विरासत में मिला लाल किला

याचिका में दावा किया गया था कि 1857 में स्वतंत्रता के पहले युद्ध के बाद अंग्रेजों ने परिवार को उनकी संपत्ति से वंचित कर दिया गया था. इसके बाद देश से सम्राट को निकाल दिया गया था और लाल किले से कब्जा जबरन अंग्रेजों की तरफ से छीन लिया गया था. याचिका में दावा किया गया कि मुगल वंशज होने की वजह से लाल किला उनका है. उन्होंने यह भी कहा कि यह किला उनके पूर्वज बहादुर शाह जफर द्वितीय से उन्हें विरासत में मिला था जिनकी डेथ 82 वर्ष की उम्र में 11 नवंबर, 1862 हो गई थी.

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