Home National क्या है भारतीय सेना की टेरीटोरियल आर्मी, देश को अगर पड़ी जरूरत तो कैसे करती है काम?

क्या है भारतीय सेना की टेरीटोरियल आर्मी, देश को अगर पड़ी जरूरत तो कैसे करती है काम?

by Rishi
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What Is Territorial Army: भारतीय टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना का एक स्वैच्छिक, अंशकालिक रिजर्व बल है, जो नियमित सेना को सहायता प्रदान करता है.

What Is Territorial Army: भारत-पाक के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही लगातार युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. कल पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सीमावर्ती इलाकों पर मिसाइल-ड्रोन से हमले का प्रयास किया गया, जिसे भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पूरी तरह से नेस्तनाबूद किया गया है. इस बीच भारतीय सेनाएं अलर्ट पर हैं. रक्षा मंत्रालय ने सेना प्रमुख से बातचीत के बाद कई बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी हैं. जिसके बाद पाकिस्तान के साथ लगती भारतीय सीमाओं पर रक्षा बलों का विस्तार किया जा रहा है. भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी को तैनात के करने के लिए जुटने के निर्देश दे दिए हैं.

भारतीय सेना की इस टुकड़ी में महेंद्र सिंह धोनी भी शामिल हैं

पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को 2011 में भारतीय सेना द्वारा उनके क्रिकेट में योगदान और राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए टेरिटोरियल आर्मी की 106 पैरा बटालियन (पैराशूट रेजिमेंट) में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक प्रदान की गई थी.

क्या है टैरीटोरियल आर्मी ?

गौर करने वाली बात है कि टेरिटोरियल आर्मी 1948 के नियम 33 के मुताबिक जारी 6 मई 2025 के नोटिफिकेशन सेना प्रमुख की तरफ से टेरिटोरियल आर्मी के हर अफसर और नॉमिनेटेड कर्मचारियों को जरूरत महसूस होने पर बुलाने और देश की रक्षा में उनकी सेवाएं लेने के निर्देश दिए गए हैं. इस नोटिफिकेशन में साफ तौर पर कहा गया है कि भारतीय सेना के प्रमुख कमांडो, जिनमें ईस्टर्न, वेस्टर्न, साउथ, नॉर्थ, अंडमान और निकोबार तथा सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) को भी शामिल किया जाना चाहिए.

क्यों स्थापित किया गया था ये रिजर्व बल ?

भारतीय टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) भारतीय सेना का एक स्वैच्छिक, अंशकालिक रिजर्व बल है, जो नियमित सेना को सहायता प्रदान करता है. इसे 1948 में टेरिटोरियल आर्मी एक्ट के तहत स्थापित किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य नियमित सेना को स्थिर ड्यूटी से मुक्त करना, प्राकृतिक आपदाओं और नागरिक प्रशासन की सहायता करना, और आवश्यकता पड़ने पर युद्ध या अन्य सैन्य अभियानों में सेना को अतिरिक्त यूनिट्स प्रदान करना है. यह ‘सेकेंड लाइन ऑफ डिफेंस’ के रूप में जानी जाती है और इसका आदर्श वाक्य है “सतर्कता और शौर्य”.

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