Home राज्यDelhi जल शक्ति मंत्रालय की योजनाओं में 709 करोड़ रुपये की हेराफेरी, आंतरिक ऑडिट में पकड़ में आई धांधली

जल शक्ति मंत्रालय की योजनाओं में 709 करोड़ रुपये की हेराफेरी, आंतरिक ऑडिट में पकड़ में आई धांधली

by Sanjay Kumar Srivastava
0 comment
financial fraud

ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार के विभाग,राज्य सरकार,सरकारी निकायों और निजी पार्टियों से सरकारी बकाया की वसूली न होने की राशि 19.05 करोड़ रुपये थी.

New Delhi: 2023-24 के लिए जल शक्ति मंत्रालय की आंतरिक लेखा परीक्षा समीक्षा ने प्रमुख जल और स्वच्छता योजनाओं में 709 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय हेराफेरी पकड़ी है. रिपोर्ट में अवरुद्ध धन, अनधिकृत खर्च, निष्क्रिय मशीनरी और खरीद प्रक्रियाओं में उल्लंघन की बात कही गई है. वार्षिक आंतरिक लेखा परीक्षा समीक्षा के अनुसार, 525.96 करोड़ रुपये के सरकारी फंड अवरुद्ध हैं. इनमें महाराष्ट्र और हरियाणा में अटल भूजल योजना के तहत अव्ययित शेष राशि, साथ ही केरल और बिहार जैसे राज्यों में अतिरिक्त व्यय, अनियमित व्यय जैसे मामले शामिल हैं.

19.05 करोड़ की नहीं हुई सरकारी बकाए की वसूली

ऑडिट में अनियमित व्यय में 23.56 करोड़ रुपये का भी पता चला, जो मुख्य रूप से एसबीएम-जी के तहत प्रशासनिक और आईईसी (सूचना, शिक्षा, संचार) गतिविधियों के लिए स्वीकृत सीमाओं से अधिक खर्च के कारण था. कई मामलों में अयोग्य खर्चों के लिए धन को डायवर्ट किया गया था. ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार के विभाग,राज्य सरकार,सरकारी निकायों और निजी पार्टियों से सरकारी बकाया की वसूली न होने की राशि 19.05 करोड़ रुपये थी. कुल मिलाकर मंत्रालय की आंतरिक लेखा परीक्षा शाखा ने अपने विभागों में 70,925.02 लाख रुपये (709.25 करोड़ रुपये) की वित्तीय अनियमितताओं को पकड़ा, जिसमें बकाया राशि की वसूली न होना,अनियमित व्यय और अप्रयुक्त धन शामिल है.

बिना इस्तेमाल के पड़ी मिली 1.32 करोड़ की मशीनें

कई क्षेत्रीय कार्यालयों में 1.32 करोड़ रुपये मूल्य की बेकार और क्षतिग्रस्त मशीनरी भी बिना इस्तेमाल के पड़ी मिली. वित्तीय वर्ष के अंत में 3,752 ऑडिट पैरा लंबित रहे, जो पिछले वर्ष के 3,417 से अधिक थे. यहां तक ​​कि लंबित मामलों को निपटाने के लिए जून और जुलाई 2023 में विशेष शिविर आयोजित किए जाने के बाद भी वित्तीय अनियमितताएं दूर नहीं हुईं. ये विस्तृत विवरण हैं जो किसी संगठन के संचालन या वित्तीय रिकॉर्ड में अनियमितताओं, गैर-अनुपालन या सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों को उजागर करते हैं. आंतरिक लेखापरीक्षा विंग ने भी कर्मचारियों की कमी और विशेष प्रशिक्षण की कमी को प्रमुख चुनौतियों के रूप में उद्धृत किया. मालूम हो कि तीन योजनाओं के लिए कुल बजट आवंटन एसबीएम-जी के लिए 7,192 करोड़ रुपये, अटल भूजल योजना के लिए 1,000 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के लिए 500 करोड़ रुपये हैं.

ये भी पढ़ेंः पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अंबानी ने बढ़ाया हाथः कर दिया बड़ा ऐलान, अब रिलायंस इंडस्ट्रीज ने उठाया ये जिम्मा

You may also like

LT logo

Feature Posts

Newsletter

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?