Gopashtami celebrations: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गुरुवार को कहा कि गौ भक्तों को गायों की सुरक्षा के लिए जन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए.
Gopashtami celebrations: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गुरुवार को कहा कि गौ भक्तों को गायों की सुरक्षा के लिए जन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए. उन्होंने कहा कि गायों की सेवा करना सभी की नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने लोगों से गायों को सड़कों पर न छोड़ने और गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की. नागरिकों से गाय के गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों का उपयोग करने का आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने अपने विवेकाधीन कोष से श्री कृष्ण गौशाला करनाल को 21 लाख रुपये देने की घोषणा की. सैनी श्री कृष्ण गौशाला करनाल में आयोजित ‘गोपाष्टमी’ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. इससे पहले उन्होंने गौ पूजा की और गौशाला में मवेशियों के लिए प्रदान की गई चिकित्सा सुविधाओं का निरीक्षण किया. गोपाष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि देश की सनातन परंपरा का यह पवित्र दिन लोगों को संस्कृति, भाईचारे और करुणा से जोड़ता है.
गाय का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व
उन्होंने कहा कि गोपाष्टमी केवल एक त्योहार नहीं है बल्कि दया, सेवा और कर्तव्य की भावना का प्रतीक है. सैनी ने कहा कि गाय का सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों ही महत्व है और इसे हमेशा से धन और समृद्धि से जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में किसी व्यक्ति की संपत्ति का आकलन उसके पास मौजूद गायों की संख्या से होता था. गाय को एक दिव्य और आध्यात्मिक प्राणी माना जाता है और उसे माता के समान पूजनीय माना जाता है. गाय के दूध को अमृत के समान माना जाता है. उन्होंने दावा किया कि वैज्ञानिक अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि देसी गायों का दूध स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है. सैनी ने कहा कि भाजपा सरकार ने गौशालाओं के विकास, मवेशियों के संरक्षण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं. ग्यारह साल पहले गौ सेवा आयोग को केवल 2 करोड़ रुपये का अनुदान मिलता था, लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद इस राशि में लगातार वृद्धि की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने अब गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
भूमि पंजीकरण पर स्टांप शुल्क समाप्त
उन्होंने आगे कहा कि 2014 में राज्य में 215 पंजीकृत गौशालाएं थीं, जिनमें 1.75 लाख मवेशी थे, जबकि आज 686 गौशालाएं हैं, जिनमें 4 लाख से अधिक मवेशी हैं. सैनी ने कहा कि सरकार गौशालाओं को 2 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली भी उपलब्ध करा रही है. गौशालाओं के लिए भूमि पंजीकरण पर स्टांप शुल्क समाप्त कर दिया गया है. उन्होंने आगे बताया कि 3,000 से ज़्यादा मवेशियों वाली गौशालाओं में हफ़्ते में एक बार एक पशु चिकित्सक की तैनाती की जाती है, जबकि छोटी गौशालाओं के लिए पशु चिकित्सा पशुधन विकास सहायक (वीएलडीए) नियुक्त किए जाते हैं. मोबाइल पशु चिकित्सा सेवाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं. सरकार ने शेड निर्माण के लिए प्रति गौशाला 10 लाख रुपये देने का फ़ैसला पहले ही कर लिया है. उन्होंने बताया कि अब तक 51 गौशालाओं में शेड बनाए जा चुके हैं और अन्य में काम जारी है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देशी नस्लों के संरक्षण और सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सरकार प्राकृतिक फ़िनाइल, जैविक खाद, गोबर के बर्तन, दीये, साबुन, मिट्टी के बर्तन, अगरबत्ती जैसे गोबर और गौमूत्र से बने उत्पादों को बढ़ावा देकर गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम कर रही है.
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