Home Latest News & Updates महाराष्ट्र में विपक्षी दलों को SEC ने दिया जवाब! कहा- नहीं हो सकता स्थानीय निकाय चुनावों में VVPAT का इस्तेमाल

महाराष्ट्र में विपक्षी दलों को SEC ने दिया जवाब! कहा- नहीं हो सकता स्थानीय निकाय चुनावों में VVPAT का इस्तेमाल

by Sachin Kumar
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Maharashtra Election : महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर स्टेट इलेक्शन कमीशन और विपक्षी दल आमने सामने आ गए हैं. राज्य के विपक्ष ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव में VVPAT का भी इस्तेमाल होना चाहिए.

Maharashtra Election : महाराष्ट्र में विभिन्न स्थानीय निकायों के चुनाव की अंतिम तारीख जनवरी 2026 तक रखी गई है. इसी बीच विपक्षी दल लगातार मांग कर रहे हैं कि मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीनों का उपयोग किया जाना चाहिए. इस पर राज्य चुनाव आयोग ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों से संबंधित कानूनों या नियमों VVPAT मशीनों का इस्तेमाल का कोई प्रावधान नहीं है. कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेता वडेट्टीवार ने कहा था कि अगर वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल संभव नहीं है, तो ग्रामीण और शहरी नगर निकायों के चुनाव मतपत्रों के माध्यम से कराए जाने चाहिए.

SEC ने बताया क्यों नहीं होगा VVPAT का इस्तेमाल

राज्य चुनाव आयोग (SEC) ने बुधवार को एक बयान में कहा कुछ अपवादों को छोड़कर राज्य में करीब सभी निकाय चुनाव बहुस्तरीय वार्ड प्रणाली के तहत आयोजित किए जाते हैं. देश भर में स्थापित राज्य चुनाव आयोगों वाली तकनीकी मूल्यांकन समिति (TEC) ऐसी बहु-सदस्यीय प्रणालियों के लिए VVPAT के अनुकूल वोटिंग मशीनों के विकास का अध्ययन कर रही है. SEC ने कहा कि समिति की अंतिम रिपोर्ट अभी प्रस्तुत नहीं की गई है और इसलिए स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट का उपयोग वर्तमान में संभव नहीं है. बता दें कि स्थानीय निकाय चुनावों में EVM के इस्तेमाल की व्यवस्था 2005 में संबंधित अधिनियमों में शामिल किया गया था. हालांकि, VVPAT के उपयोग के संबंध में कोई कानूनी प्रावधान नहीं है.

संशोधन करना अधिकार क्षेत्र में नहीं

महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने कहा कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1888 बॉम्बे प्रांतीय नगर निगम अधिनियम, 1949, महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायत और औद्योगिक टाउनशिप अधिनियम, 1965, महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम, 1961 और मुंबई ग्राम पंचायत अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के तहत आयोजित किए जाते हैं. आयोग ने स्पष्ट किया कि इन अधिनियमों या नियमों में संशोधन करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है.

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