Jagannath Temple Ratna Bhandar: काफी टाइम से जगन्नाथ मंदिर के बहुमूल्य खजाने ‘रत्न भंडार’ की इन्वेंटरी को लेकर चर्चा हो रही है, जो जल्दी ही पूरी होने वाली है.
22 November, 2025
Jagannath Temple Ratna Bhandar: पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर के बहुमूल्य खजाने ‘रत्न भंडार’ की इन्वेंटरी अब पूरी होने जा रही है. मंदिर प्रशासन ने फैसला किया है कि मरम्मत के बाद फिर से सुरक्षित किए गए इस रत्न भंडार में जूलरी और कीमती वस्तुओं की पूरी गिनती और डॉक्यूमेंट्स का काम अगले साल अप्रैल, यानी अक्षय तृतीया 2026 से पहले पूरा कर लिया जाएगा. मंदिर प्रशासन की इस बैठक की चेयरमैनशिप गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने की. बैठक के बाद एसजेटीए (Shree Jagannath Temple Administration) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाधी ने बताया कि 12वीं सदी के इस विश्वप्रसिद्ध मंदिर के सभी आभूषण अब अपने मूल स्थान रत्न भंडार में सुरक्षित रख दिए गए हैं. चार दशकों बाद इस खज़ाने के दरवाज़े 2024 में खोला गए थे. अब ये भंडार एएसआई द्वारा पूरी तरह मरम्मत किया जा चुका है.
कैसे होगी इन्वेंटरी
अरविंद पाधी ने बताया कि इन्वेंटरी फेस वाइस तरीके से होगी ताकि मंदिर का डेली रूटीन और परंपराएं प्रभावित न हों. इसके साथ ही, हर जूलरी और कीमती वस्तु को डिजिटल रूप से दर्ज किया जाएगा. मंदिर प्रशासन का लक्ष्य है कि अक्षय तृतीया (19 अप्रैल, 2026) तक पूरा काम खत्म हो जाए, क्योंकि इसी दिन हर साल रथ निर्माण की पवित्र प्रक्रिया शुरू होती है. इसके अलावा एमार मठ से मिलीं चांदी की 522 सिल्लियां, जिनकी कीमत करीब 90 करोड़ रुपये बताई जा रही थी, ये भी इस बैठक का बड़ा मुद्दा है. ये सिल्लियां साल 2011 में चोरी के प्रयास के बाद मठ से मिली थीं और फिलहाल जिला हथियारागार में सुरक्षित हैं. हालांकि, मामला हाई कोर्ट में पेंडिंग है. ऐसे में प्रशासन कानूनी रास्ते तलाश कर रहा है ताकि इन सिल्लियों का ऑफिशियल ऑनरशिप भगवान जगन्नाथ के नाम किया जा सके.
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चांदी की सिल्लियों पर दावा
एमार मठ 1050 में फिलोसोफर और संत रामानुजाचार्य ने स्थापित किया था. ये जगन्नाथ मंदिर परिसर के साउथ ईस्ट हिस्से में है. इस मठ ने भी इन चांदी की सिल्लियों पर अपना दावा पेश किया है, जिसके बाद मामला अदालत तक पहुंचा. वहीं, बैठक में ये भी निर्णय लिया गया कि भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के लिए सोने की जूलरी का एक नया सेट तैयार किया जाएगा. इसके लिए ‘स्वर्ण अलंकार दान योजना’ शुरू की जाएगी, जिसमें भक्त अपनी इच्छा से सोना-चांदी दान कर सकेंगे.
टेक्नॉलॉजी के साथ दान
एक पहल ये भी सामने आई कि अब जल्द ही भक्त एटीएम से पैसा निकालते टाइम सीधे भगवान के लिए दान भी कर सकेंगे. ये सुविधा पहली बार पुरानी परंपरा और नई टेक्निक को एक साथ जोड़ेगी. इसके अलावा बेटियों की शादी के लिए सहायता राशि 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने का निर्णय लिया गया. वहीं, ब्रतघरा संस्कार के लिए सहायता 20 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है. साथ ही इस बैठक में इस्कॉन की टाइम से पहले आयोजित की गई ‘रथ यात्रा’ पर भी चर्चा हुई. मंदिर प्रशासन के ये फैसले एक ओर जहां सुरक्षा और परंपरा को मजबूत करेंगे, वहीं भक्तों के एक्सपीरियंस को भी मॉर्डन बनाने का काम भी करेंगे.
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