Home Religious तिरुपति बालाजी में पुरूषों के साथ महिलाएं भी चढ़ाती हैं अपने बाल, कुबेर के कर्ज से जुड़ी है पौराणिक कथा

तिरुपति बालाजी में पुरूषों के साथ महिलाएं भी चढ़ाती हैं अपने बाल, कुबेर के कर्ज से जुड़ी है पौराणिक कथा

by Live Times
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Tirupati Temple Hair Offering

Tirupati Temple Hair Offering: तिरुपति बालाजी मंदिर में पुरुषों के साथ महिलाएं भी अपने बाल अर्पित करती हैं. यहां पढ़ें इसके पीछे की पौराणिक कथा.

21 November, 2025

Tirupati Temple Hair Offering: भारत में हर मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी है. भारत के मंदिरों के पास अथाह धन भी है. मंदिरों में भक्त अपनी श्रद्धा से पैसे और सोना-चांदी भगवान को अर्पित करते हैं. कुछ पुरुष मंदिर में अपने बालों का भी दान करते हैं. वहीं भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां पुरुष के साथ महिलाएं भी अपने बाल दान करती हैं. हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी का मंदिर के बारे में. यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में एक है. यहां महिलाएं दान के रूप में अपने पूरे बाल दान करती हैं. आज हम आपको इसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे.

भगवान विष्णु को ऋषि भृगु ने मारी थी लात

पौराणिक कथा के अनुसार, विश्व कल्याण के लिए एक बार ऋषि भृगु ने यज्ञ करवाया. उस समय उन्होंने सोचा कि यज्ञ का फल किसे अर्पित किया जाए. पहले ऋषि भृगु ब्रह्मा जी और शिव जी के पास पहुंचे, लेकिन उन्हें यज्ञ का फल अर्पित करने के लिए वे अनुपयुक्त लगे. इसके बाद वे भगवान विष्णु के पास बैकुंठ धाम गए. उस समय वे विश्राम कर रहे थे. भगवान विष्णु को उनके आने का पता नहीं चला. ऋषि भृगु ने इसे अपमान समझा और गुस्से में जाकर भगवान विष्णु की छाती पर लात मार दी. भगवान ने उनका पैर पकड़ कर कहा ‘आपको कहीं चोट तो नहीं लगी.’ इस पर ऋषि भृगु का दिल पिघल गया और वे समझ गए कि भगवान विष्णु को ही यज्ञ का फल अर्पित किया जा सकता है.

बैकुंठ धाम छोड़कर गईं मां लक्ष्मी

भगवान विष्णु की बेइज्ज़ती से देवी लक्ष्मी को गुस्सा आ गया. उन्होंने उनसे ऋषि भृगु को दंड देने के लिए कहा. जब उन्होंने मना कर दिया, तो वह गुस्सा हो गईं और बैकुंठ छोड़कर धरती पर चली गईं. भगवान विष्णु ने उन्हें ढूंढने के लिए धरती पर श्रीनिवास के रूप में अवतार लिया. इस दौरान, भगवान शिव और ब्रह्मा ने भी उनकी मदद के लिए गाय और बछड़े का रूप लिया. देवी लक्ष्मी ने पद्मावती के रूप में धरती पर जन्म लिया था और समय आने पर श्रीनिवास और पद्मावती का विवाह हो गया. शादी की कुछ जरूरी रस्में पूरी करने के लिए, भगवान विष्णु ने कुबेर देव से पैसे उधार लिए. उन्होंने कलियुग के आखिर तक ब्याज समेत कर्ज चुकाने का वादा किया. कहा जाता है कि इसी वजह से, आज भी भक्त भगवान विष्णु का कर्ज चुकाने के लिए दान करते हैं. इस परंपरा में भक्त बालों का भी दान करते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी तिरुपति बालाजी मंदिर में अपने बाल चढ़ाता है, उस पर देवी लक्ष्मी की कृपा होती है.

मां नीला देवी ने दान किए बाल

एक और कथा के अनुसार, बहुत समय पहले, भगवान बालाजी की मूर्ति के चारों ओर बहुत सारी चींटियां इकट्ठा हो गईं, जिससे एक टीला बन गया. हर दिन, एक गाय वहां आती, टीले पर अपना दूध चढ़ाती और फिर लौट जाती. जब गाय के मालिक को यह पता चला, तो वह गुस्से में आ गया और उसने गाय को मारा. इस हमले से न सिर्फ गाय घायल हुई, बल्कि भगवान बालाजी की मूर्ति के सिर पर भी चोट लग गयी, जिससे बाद भगवान के बाल झड़ गए. भगवान का दर्द देखकर, मां नीला देवी ने अपने बाल काटकर उनके सिर पर रख दिए. ऐसा करने से भगवान बालाजी का घाव ठीक हो गया. खुश होकर, भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा, “बाल किसी व्यक्ति की सुंदरता की निशानी होते हैं, और तुमने मेरे लिए इन्हें दान कर दिया. अब से, जो भी भक्त सच्चे दिल से अपने बाल दान करेगा, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी.” तब से, तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल दान करने की परंपरा चली आ रही है. मंदिर के पास, नीलाद्री पहाड़ों पर, देवी नीला देवी का एक मंदिर भी है.

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