Jagannath and Hanuman Katha: ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर के थोड़ी दूर ही भक्त हनुमान का भी मंदिर है, जहां भगवान ने उन्हें बेड़ियों से बांधा था. यहां पढ़ें पूरी कथा.
10 December, 2025
Jagannath and Hanuman Katha: ओडिशा के पुरी में जगत के पालनहार भगवान विष्णु के जगन्नाथ रूप का मंदिर है. पूरे भारत और खासकर ओडिशा के लोगों की इस मंदिर में गहरी आस्था है. हर साल यहां विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसमें विदेशों में रहने वाले हिंदू भी हिस्सा लेते हैं. इस मंदिर के थोड़ी दूर ही विष्णु भक्त हनुमान का भी मंदिर है, जिसे बेड़ी वाले हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है. कई लोगों को यही नही पता कि भगवान जगन्नाथ ने यहां हनुमान जी को बेड़ियों से बांधा था, इसलिए वे अब तक बेड़ियों में बंधे हैं. चलिए जानते हैं पूरी कथा.
दर्शन करने पहुंचे समुद्र देव
जगन्नाथ मंदिर और हनुमान मंदिर के बीच एक पवित्र संबंध है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सभी देवी-देवता पुरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने पहुंचे. उनके साथ मनुष्य और गंधर्व भी पुरी धाम पहुंचे. सभी को पुरी में देख समुद्र देवता के मन में भी जगन्नाथ भगवान के दर्शन करने की लालसा हुई. समुद्र देवता भी पीछे-पीछे जगन्नाथ मंदिर पहुंच गए, जिस कारण पुरी धाम पानी में डूब गया. इससे भक्तों को परेशानी होने लगी. जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया.
पुरी धाम की रक्षा कर रहे हनुमान

पुरी धाम की ऐसी स्थिति देखकर भगवान जगन्नाथ ने अपने भक्त हनुमान को समुद्र को रोकने के लिए भेजा. हनुमान जी के भय से समुद्र देव मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाए. इस तरह हनुमान जी ने कुछ समय तक पुरी धाम रक्षी की. लेकिन जब भी जगन्नाथ भगवान का भजन कीर्तन होता, तो वे अपना स्थान छोड़कर मंदिर चले जाते. उस समय समुद्र को भी मंदिर में प्रवेश करने का मौका मिल जाता था. इसका हल निकालने के लिए भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को समुद्र् के किनारे बेड़ियों में बांध दिया, ताकि वे वहां से कहीं न जा पाएं. इस तरह आज भी बेड़ियों में बंधे हनुमान पुरी धाम की रक्षा कर रहे हैं.
कर्तव्य और भक्ति का प्रतीक हैं बेड़ियां
भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को दंड देने के लिए बेड़ियों में नहीं बांधा, बल्कि पुरी धाम की रक्षा के लिए बांधा. इसलिए इन बेड़ियों को दंड के नहीं, कर्तव्य और भक्ति के बंधन के रूप में देखा जाता है. जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने वाले भक्त हनुमान मंदिर में भी दर्शन करने जरूर जाते हैं. इस मंदिर की प्रसिद्धी दूर-दूर तक फैली है.
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