Kishtwar Cloudburst: किश्तवाड़ जिले में लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू कार्य में तेजी लाने के लिए बचावकर्मियों ने चट्टानों को विस्फोटक सामग्री से उड़ा दिया. साथ ही अभी तक 167 लोगों को बचा लिया गया है.
Kishtwar Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बादल फटने के बाद भारी तबाही मचा दी है. इस भयावह घटना में अब तक तीन सीआईएसएफ कर्मियों और एक विशेष पुलिस अधिकारी समेत 60 लोगों की मौत हो गई है और करीब 82 लोग लापता बताए जा रहे हैं. वहीं, तीसरे दिन भी किश्तवाड़ जिले आपदा प्रभावित चिसोती गांव में चल रहे बचाव और राहत कार्यों में बाधा डालने वाली चट्टानों को विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि सेना ने भी प्रयासों को तेज करने के लिए अतिरिक्त जवानों को तैनात किया है. बता दें कि अभी तक बचाव कार्य में 167 लोगों को बचाया गया है जिनमें कुछ गंभीर रूप से घायल भी हैं.
CM अब्दुल्ला ने किया प्रभावित इलाके का दौरा
वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने शनिवार की सुबह चिसोती गांव का दौरा किया और प्रभावित परिवारों के लिए एकजुटता और तत्काल राहत के उपाय के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से अनुग्रह राशि की भी मंजूरी देने की घोषणा की. दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने भी जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात के साथ शुक्रवार देर रात तबाह हुए गांव का दौरा किया. साथ ही इस दौरान उन्होंने लिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, नागरिक प्रशासन, सीमा सड़क संगठन और स्थानीय स्वयंसेवकों की तरफ से किए जा रहे बचाव और राहत कार्यों की समीक्षा भी की.
बचाव कर्मियों ने चट्टानों को विस्फोटक से उड़ाया
बताया जा रहा है कि अभी तक 50 शवों की पहचान हो चुकी है और कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद शवों को परिजनों को सौंप दिया जाएगा. बता दें कि यह आपदा 14 अगस्त को दोपहर करीब 12 बजकर 25 मिनट पर मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते के चिसोटी गांव में आई. इस बाढ़ ने पूरे इलाके को तहस-नहस कर दिया. कम से कम 16 मकानों और सरकारी इमारतों, तीन मंदिर, 30 मीटर लंबा पुल और एक दर्जन से ज्यादा वाहन पूरी तरह से तबाह हो गए हैं. वहीं, सबसे ज्यादा प्रभावित लंगर स्थल हुआ है जहां पर बड़े-बड़े पत्थर गिर गए हैं. आपको बताते चलें कि वक्त बीतने के साथ जीवित बचे लोगों को बाहर निकालने की संभावना लगातार कम होती जा रही थी और यही वजह है कि बचावकर्मियों ने शनिवार की शाम को विस्फोटक पदार्थों का इस्तेमाल करते हुए बड़े-बड़े पत्थरों को उड़ा दिया, जिसके माध्यम से बचाव कार्य अभियान में तेजी आ गई.
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