Cyber Fraud: मुंबई में इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर 9 करोड़ गंवा बैठे. ठगों ने पीड़ित प्रोफेसर को आतंकवादी संगठन से जुड़े होने का डर दिखाया.
Cyber Fraud: मुंबई में इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर 9 करोड़ गंवा बैठे. ठगों ने पीड़ित प्रोफेसर को आतंकवादी संगठन से जुड़े होने का डर दिखाया. ठगों ने खुद को नासिक के पंचवटी पुलिस स्टेशन का इंस्पेक्टर बताते हुए कहा कि वह इस मामले की जांच कर रहे हैं. पुलिस ने बुधवार को बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व विभागाध्यक्ष को डिजिटल गिरफ्तारी के तहत फंसाकर 9 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर ली गई. ठगों ने दावा किया कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और एक आतंकवादी संगठन को धन हस्तांतरण के लिए किया गया था.ठगी का एहसास होने के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व विभागाध्यक्ष ने सोमवार को दक्षिण क्षेत्र साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई.
ठग ने खुद को बताया पंचवटी पुलिस स्टेशन का इंस्पेक्टर
शिकायत में कहा गया कि 28 नवंबर को उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को नासिक के पंचवटी पुलिस स्टेशन का इंस्पेक्टर बताया. फोन करने वाले ने दावा किया कि उनके नाम और आधार नंबर का इस्तेमाल करके एक बैंक खाता खोला गया था. फोन करने वाले ने कहा कि इस खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ वित्तीय लेनदेन के लिए किया गया था. ठग ने यह भी बताया कि उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जा रहा है और सीबीआई अपराध शाखा की एक विशेष जांच टीम जांच कर रही है. इसके बाद 1 दिसंबर को पीड़ित के पास पुलिस की वर्दी पहने एक व्यक्ति का व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया, जिसने दावा किया कि उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और उसे डिजिटल रूप से गिरफ्तार कर लिया गया है.
डर से पीड़ित ने दे दी सभी जानकारी
कॉल करने वाले ने पीड़ित से उसकी सभी बैंकिंग और निवेश संबंधी जानकारी भेजने को कहा और उसे चेतावनी दी कि वह अपनी डिजिटल गिरफ्तारी के बारे में किसी को न बताए. इसके बाद धोखेबाज ने पीड़ित से उसकी सभी बचत और निवेशित धनराशि, जिसमें म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट और शेयर बाजार में निवेश शामिल थे, विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित करने को कहा. पीड़ित को बताया गया कि सत्यापन के बाद पैसा ब्याज सहित वापस कर दिया जाएगा. डर की वजह से पीड़ित ने 1 से 22 दिसंबर के बीच 9 करोड़ रुपये स्थानांतरित कर दिए. पीड़ित ने पुलिस को बताया कि जब उसे तथाकथित जांच अधिकारियों के कॉल आने बंद हो गए, तो उसने फोन करने वालों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद पीड़ित को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है और उसने 1930 साइबर हेल्पलाइन पर पुलिस से संपर्क किया. साइबर पुलिस स्टेशन के अधिकारी ने बताया कि इस मामले में जांच जारी है.
ये भी पढ़ेंः दिल्ली में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ः RBI का LOGO बरामद, बीमा पॉलिसी के नाम पर करते थे ठगी, 10 गिरफ्तार
