Home राज्यBihar बिहार में चुनाव को लेकर आयोग तैयारः कहा- 22 वर्षों बाद राज्य में हुआ मतदाता सूची का शुद्धिकरण

बिहार में चुनाव को लेकर आयोग तैयारः कहा- 22 वर्षों बाद राज्य में हुआ मतदाता सूची का शुद्धिकरण

by Sanjay Kumar Srivastava
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Chief Election Commissioner

Bihar Election: SIR प्रक्रिया को पूरा करने में 90,207 बीएलओ ने उनकी सहायता की. जिससे 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची का शुद्धिकरण हुआ है.

Bihar Election: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पूरा होने पर संतोष व्यक्त किया. दावा किया कि इस प्रक्रिया से 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची का शुद्धिकरण हुआ है. वे राज्य के अपने दौरे के समापन से पहले पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनावों की घोषणा होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि हमारे पास 243 निर्वाचन क्षेत्रों में से प्रत्येक में एक ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) हैं. इस प्रक्रिया को पूरा करने में 90,207 बीएलओ ने उनकी सहायता की, जिससे 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची का शुद्धिकरण हुआ है. बिहार में मतदाता सूचियों का अंतिम बार गहन पुनरीक्षण 2003 में हुआ था. मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह सिंधु और विवेक जोशी भी थे. आयुक्त ने अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की और अधिकारियों के साथ चुनावी तैयारियों की समीक्षा की.

22 नवंबर से पहले चुनाव

देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ किया है कि जिन मतदाताओं की जानकारी में किसी तरह का अपडेट या बदलाव हुआ है, उन्हें नया वोटर कार्ड जारी किया जाएगा. बाकी को इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी. उन्होंने बताया कि प्रावधान के तहत 22 नवंबर से पहले नई सरकार के लिए चुनाव हो जाना है और इसी हिसाब से आयोग काम कर रहा है. कहा कि बाकी दस्तावेजों के आधार भी बिहार चुनाव में वोट डाल सकते हैं. दो दिवसीय दौरे के बाद पटना से लौटने के पहले मीडिया से बातचीत में मुख्य चुनाव आयुक्त ने साफ कहा कि जिनके वोटर कार्ड के डाटा में कोई परिवर्तन होगा, उन्हें 15 दिनों के अंदर ईपिक यानी वोटर कार्ड मिल जाएगा. जिनके पास पुराने वोटर कार्ड हैं और डाटा में कोई बदलाव नहीं है, वह उसी को सही मानेंगे. मतदान करने के लिए बाकी जिन दस्तावेजों को पहले से मान्य रखा गया था, वह आगे भी कायम रहेंगे.

चलती रहेगी नाम हटाने-जोड़ने की प्रकिया

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि अयोग्य वोटरों को हटाने और योग्य वोटरों को शामिल करने के लिए चलाए गए गहन विशेष पुनरीक्षण का परिणाम बहुत स्पष्ट और संतोषजनक रहा है. अब भी कोई अयोग्य जुड़ा हुआ है या योग्य छूटा हुआ है तो उसका नाम हटाने-जोड़ने की प्रकिया चलती रहेगी. चुनाव के बाद यह प्रक्रिया अगले आदेश तक के लिए बंद हो जाएगी. मुख्य चुनाव आयुक्त ने वोटर पुनरीक्षण की प्रक्रिया में आधार को रखने और नहीं रखने को लेकर विवाद पर भी स्पष्ट जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मतदाता सूची के लिए नामांकन भरा होगा, वह आधार देने के लिए बाध्य नहीं थे और न हैं. चुनाव आयोग या आधार अथॉरिटी के नियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत आधार न जन्मतिथि और न नागरिकता का प्रमाणपत्र है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया तो आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण में आधार कार्ड लेने की व्यवस्था दी. उन्होंने नागरिकता को लेकर पूछे गए सवाल पर भी सीधा जवाब देते हुए कहा कि संविधान के तहत भारत का मतदाता बनने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है. वोटर जहां रहता है, उसके आसपास के बूथ का मतदाता हो सकता है.

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