Home Top News प्रेसिडेंट-गवर्नर के लिए डेडलाइन वाला ‘सुप्रीम’ आदेश राष्ट्रपति मुर्मू को गुजरा नागवार, जानें पूरा मामला

प्रेसिडेंट-गवर्नर के लिए डेडलाइन वाला ‘सुप्रीम’ आदेश राष्ट्रपति मुर्मू को गुजरा नागवार, जानें पूरा मामला

by Live Times
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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रेसिडेंट-गवर्नर के पास भेजे गए विधेयक पर डेडलाइन सेट करने वाला आदेश दिया था. इस आदेश पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आपत्ति जताई है.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रेसिडेंट-गवर्नर के पास भेजे गए विधेयक पर डेडलाइन सेट करने वाला आदेश दिया था. इस आदेश पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आपत्ति जताई है.

Droupadi Murmu on Supreme Court Deadline Decision: प्रेसिडेंट-गवर्नर के लिए डेडलाइन का मुद्दा हर गुजरते दिन के साथ गहराता जा रहा है. प्रेसिडेंट और गवर्नर के लिए सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आपत्ति जताई है. बता दें कि तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल मामले में टॉप कोर्ट ने आदेश दिया था कि राष्ट्रपति और राज्यपालों को एक तय समय के भीतर ही उनके पास भेजे गए विधेयकों पर फैसला करना होगा. सुप्रीम कोर्ट का यही आदेश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नागवार गुजरा और उन्होंने संविधान का हवाला दे दिया.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के डेडलाइन वाले आदेश पर प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि संविधान में इस तरह का कोई भी प्रावधान नहीं है तो फिर किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूछा कि इस तरह की किसी व्यवस्था का जिक्र भी भारत के संविधान में नहीं है तो फिर प्रेसिडेंट और गवर्नर के लिए समयसीमा तय करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट कैसे दे सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

सुप्रीम कोर्ट ने आठ अप्रैल, 2025 को डेडलाइन तय करने वाला आदेश देते हुए ये भी कहा था कि अगर किसी बिल को राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास भेजा गया और उन्होंने तीन महीने के भीतर भी इस पर कोई फैसला नहीं किया तो उन्हें इसकी वाजिब वजह बतानी ही होगी. इस मुद्दे पर आपत्ति जताते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल भी पूछे हैं और स्पष्टीकरण भी मांग लिया है.

कैसे शुरू हुआ विवाद?

इस विवाद की शुरुआत तमिलनाडु गवर्नर और राज्य सरकार के बीच जारी तकरार से हुई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तमिलनाडु में राज्य सरकार के बिलों को गवर्नर ने रोका हुआ है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया तो शीर्ष अदालत ने कहा कि गवर्नर के पास किसी भी तरह की वीटो पावर मौजूद नहीं है कि वो बिलों को रोके. इस मामले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी अपना बयान दिया था और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई थी. 17 अप्रैल, 2025 को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट आदेश नहीं दे सकता. राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी इस मुद्दे पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान पर पलटवार किया था. कपिल सिब्बल ने कहा, ‘मुझे जगदीप धनखड़ के इस मुद्दे पर दिए बयान से काफी दुख पहुंचा. देश को आज सिर्फ न्यायपालिका पर ही भरोसा है.’

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