Home Top News मोदी राज में गरीबी पर प्रहार, 27.1% से 5.3% तक आई कमी, वर्ल्ड बैंक का खुलासा

मोदी राज में गरीबी पर प्रहार, 27.1% से 5.3% तक आई कमी, वर्ल्ड बैंक का खुलासा

by Rishi
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Poverty in India has significantly reduced over 11 years under Modi's rule, according to a World Bank report

World Bank Report: विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2011-12 में भारत में 34.44 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे थे, जो 2022-23 तक घटकर 7.52 करोड़ रह गए.

World Bank Report: विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पिछले 11 वर्षों में गरीबी उन्मूलन की दिशा में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में अत्यधिक गरीबी की दर 2011-12 में 27.1 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में मात्र 5.3 प्रतिशत रह गई है. इस दौरान लगभग 26.9 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी की रेखा से बाहर निकले हैं, जो भारत की समावेशी विकास नीतियों और जनकल्याणकारी योजनाओं की ऐतिहासिक उपलब्धि को दर्शाता है.

विश्व बैंक के आंकड़े बयां करते हैं उपलब्धि की कहानी

विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2011-12 में भारत में 34.44 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे थे, जो 2022-23 तक घटकर 7.52 करोड़ रह गए. इस तरह, 11 वर्षों में 26.9 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है. विश्व बैंक ने अपनी गणना 3.00 डॉलर प्रतिदिन की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (2021 की कीमतों पर) के आधार पर की है. इसके अलावा, 2.15 डॉलर प्रतिदिन की पिछली गरीबी रेखा (2017 की कीमतों पर) के आधार पर अत्यधिक गरीबी की दर 16.2% से घटकर 2.3% हो गई, और इस दौरान गरीबों की संख्या 20.59 करोड़ से घटकर 3.36 करोड़ रह गई.

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार

रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में गरीबी में कमी आई है. ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 18.4% से घटकर 2.8% हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 10.7% से घटकर 1.1% रह गई. ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर भी 2011-12 में 7.7 प्रतिशत अंक से घटकर 2022-23 में 1.7 प्रतिशत अंक हो गया. यह उपलब्धि सरकार की मुफ्त और रियायती राशन योजनाओं, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, के प्रभावी कार्यान्वयन को दर्शाती है, जिसने विशेष रूप से महामारी के दौरान गरीबों को राहत प्रदान की.

मोदी सरकार की योजनाओं का योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का परिणाम बताया. उन्होंने कहा कि पीएम आवास योजना, पीएम उज्ज्वला योजना, जन धन योजना, और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने गरीबों को आवास, स्वच्छ रसोई ईंधन, बैंकिंग सेवाएँ, और स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करके उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाया है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) और डिजिटल समावेशन ने पारदर्शिता सुनिश्चित की और अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने में मदद की. पीएम ने कहा, “पिछले 11 वर्षों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर, समावेशन, और पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित किया, जिसके परिणामस्वरूप 25 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर निकले.”

बहुआयामी गरीबी में भी कमी

विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) में भी शानदार प्रगति की है. 2005-06 में एमपीआई 53.8% था, जो 2019-21 में 16.4% और 2022-23 में घटकर 15.5% हो गया. यह दर्शाता है कि भारत ने न केवल आर्थिक गरीबी, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर जैसे क्षेत्रों में भी सुधार किया है.

राज्यों का योगदान और भविष्य की चुनौतियाँ

उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने गरीबी उन्मूलन में दो-तिहाई योगदान दिया. इन राज्यों में 2011-12 में देश के 65% अत्यधिक गरीब लोग रहते थे, लेकिन 2022-23 तक इनका हिस्सा घटकर 54% रह गया. हालांकि, विश्व बैंक की रिपोर्ट यह भी बताती है कि लगभग 5.44% लोग अभी भी 3 डॉलर प्रतिदिन से कम पर जीवनयापन कर रहे हैं, जो गरीबी उन्मूलन के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता को दर्शाता है.

मोदी सरकार का संकल्प

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह उपलब्धि भारत को गरीबी मुक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने जोर दिया कि सरकार का लक्ष्य केवल सरकारी सहायता पर निर्भरता बढ़ाना नहीं, बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है. जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और डिजिटल इंडिया जैसे पहलों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

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