Home Top News रूस ने कहा-अमेरिकी दबाव से नहीं रुकेगी भारत को तेल आपूर्ति, दोनों देशों के बीच और बढ़ेंगे रक्षा सहयोग

रूस ने कहा-अमेरिकी दबाव से नहीं रुकेगी भारत को तेल आपूर्ति, दोनों देशों के बीच और बढ़ेंगे रक्षा सहयोग

by Sanjay Kumar Srivastava
0 comment
Russian Foreign Minister Roman Babushkin

Russia-India Relations: भारत पर लगातार अमेरिकी दबाव को अनुचित बताया और कहा कि इस तरह का दृष्टिकोण और प्रतिबंध वैश्विक आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं.

Russia-India Relations: वैश्विक बाजार में जारी उधल-पुथल के बीच रूस किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम है. यह बातें रूस के विदेश मंत्री रोमन बाबुश्किन ने बुधवार को कही. कहा कि रूस के पास भारत के खिलाफ रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए अमेरिका द्वारा दंडात्मक उपायों को लागू करने से उत्पन्न किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए एक ‘विशेष तंत्र’ है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना करके 50 प्रतिशत करने के बाद नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंधों में गिरावट आई है, जिसमें भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क शामिल हैं. एक मीडिया ब्रीफिंग में बाबुश्किन ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नई दिल्ली के साथ अपने देश के संबंधों में तेजी से सुधार का अनुमान लगाया और कहा कि रूस भारत की विभिन्न सैन्य प्लेटफार्मों और हार्डवेयर की आवश्यकता के लिए पसंदीदा भागीदार रहा है.

भारत पर अमेरिकी दबाव अनुचित

रूसी विदेश मंत्री ने रूसी तेल खरीदने से रोकने के लिए भारत पर लगातार अमेरिकी दबाव को अनुचित बताया और कहा कि इस तरह का दृष्टिकोण और प्रतिबंध वैश्विक आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं. यह भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है. हमें भारत के साथ अपनी साझेदारी पर भरोसा है और हम दोनों देशों के बीच ऊर्जा संबंधों में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है. बाबुश्किन ने विश्वास जताया कि भारत-रूस ऊर्जा सहयोग बढ़ता रहेगा. पिछले हफ़्ते अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत रूसी कच्चे तेल की ख़रीद जारी रखता है, तो ट्रंप प्रशासन भारत पर द्वितीयक शुल्क बढ़ा सकता है. यद्यपि अमेरिका ने रूस के साथ अपने ऊर्जा संबंधों के लिए भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया, लेकिन उसने रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार चीन के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई शुरू नहीं की है.

भारत राष्ट्रीय हित में खरीद रहा रूसी तेल

अमेरिकी धमकी के बीच भारत ने रूसी कच्चे तेल की खरीद पर कहा कि वह राष्ट्रीय हित को देखते हुए रूस से तेल खरीद रहा है. पश्चिमी देशों द्वारा मास्को पर प्रतिबंध लगाने और फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद उसकी आपूर्ति बंद करने के बाद भारत ने छूट पर बेचे जाने वाले रूसी तेल को खरीदना शुरू कर दिया. रूस की हिस्सेदारी 2024-25 में बढ़कर 35.1 प्रतिशत हो गई. रूस अब भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है. जबकि 2019-20 में कुल तेल आयात में मात्र 1.7 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. यदि काल्पनिक रूप से कहें तो भारत रूसी तेल खरीदने से इनकार कर देता है, तो इससे पश्चिम के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग नहीं हो पाएगा.

वैश्विक उथल-पुथल के बीच ब्रिक्स की भूमिका महत्वपूर्ण

रूसी राजनयिक ने कहा कि वे (पश्चिमी शक्तियां) नव-औपनिवेशिक शक्तियों की तरह व्यवहार कर रही हैं. रूस के विदेश मंत्री बाबुश्किन ने कहा कि भारत और रूस 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाएंगे. भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रूसी बाजार भारतीय निर्यात का स्वागत करेगा. रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि इस साल के अंत में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक उथल-पुथल के बीच एक स्थिर बल के रूप में ब्रिक्स की भूमिका बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि जीडीपी के संदर्भ में ब्रिक्स की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 77 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि ग्रुप ऑफ सेवन (G-7) देशों के लिए यह 57 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है. उन्होंने तर्क दिया कि ब्रिक्स एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है. रूसी राजनयिक ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग का और विस्तार होना तय है.

ये भी पढ़ेंः विदेश मंत्री वांग यी ने की PM मोदी से मुलाकात, प्रधानमंत्री बोले- दोनों देशों के बीच में लगातार प्रगति हुई

You may also like

LT logo

Feature Posts

Newsletter

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?