Home Top News तमिलनाडु-श्रीलंका तट के बीच स्थित राम सेतु पर फिर से कानूनी बहस शुरू, SC का केंद्र को नोटिस

तमिलनाडु-श्रीलंका तट के बीच स्थित राम सेतु पर फिर से कानूनी बहस शुरू, SC का केंद्र को नोटिस

by Sanjay Kumar Srivastava
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Supreme Court

Ram Setu: स्वामी का कहना है कि रामायण से जुड़ा यह स्थल आस्था और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिलना चाहिए.

Ram Setu: राम सेतु पर पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. स्वामी ने अपनी याचिका में आग्रह किया है कि केंद्र सरकार ‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के उनके अनुरोध पर शीघ्र निर्णय ले. मालूम हो कि ‘राम सेतु’ को एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है. यह सेतु तमिलनाडु के पंबन द्वीप और श्रीलंका के मन्नार द्वीप के बीच स्थित है. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले में सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया. स्वामी का कहना है कि रामायण से जुड़ा यह स्थल आस्था और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिलना चाहिए. कोर्ट अब केंद्र के जवाब पर आगे की कार्यवाही करेगा. सुप्रीम कोर्ट अब मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद करेगा.

राष्ट्रीय धरोहर घोषित हो ‘राम सेतु’

19 जनवरी 2023 को केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि वह ‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय धरोहर स्मारक घोषित करने के मुद्दे पर विचार कर रहा है. स्वामी ने अपनी याचिका में इसी आदेश का हवाला दिया है. शीर्ष अदालत तब इस मुद्दे पर स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. अपने 19 जनवरी 2023 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि प्रक्रिया वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय में चल रही है. लेकिन यदि याचिकाकर्ता चाहे तो वह दो सप्ताह की अवधि के भीतर कोई अतिरिक्त सामग्री या संचार भी प्रस्तुत कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस मुद्दे पर निर्णय लेने को कहा था और स्वामी को असंतुष्ट होने पर फिर से उसके समक्ष जाने की स्वतंत्रता दी थी और इस मुद्दे पर उनके अंतरिम आवेदन का निपटारा कर दिया था. स्वामी द्वारा दायर नई याचिका में कहा गया है कि आज तक न तो उन्हें और न ही सर्वोच्च न्यायालय को कोई प्रतिक्रिया या निर्णय से अवगत कराया गया है.

आस्था और श्रद्धा का विषय है राम सेतु

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार राम सेतु को किसी भी प्रकार के दुरुपयोग, प्रदूषण या अपवित्रता से बचाने के लिए बाध्य है. याचिका में कहा गया है कि यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह पुरातात्विक स्थल राम सेतु को तीर्थस्थल मानने वाले लोगों की आस्था और श्रद्धा का विषय है. ये सभी पुरातात्विक अध्ययन और वैज्ञानिक निष्कर्ष मानव निर्मित स्मारक के अस्तित्व को श्रद्धालुओं के लिए तीर्थस्थल के रूप में प्रमाणित करने वाले आधारभूत साक्ष्य हैं. याचिका में कहा गया है कि 19 जनवरी 2023 के आदेश के बाद स्वामी ने 27 जनवरी 2023 को सभी संबंधित दस्तावेजों के साथ सरकार को एक अभ्यावेदन दिया था. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने 13 मई, 2025 को सरकार को फिर से एक नया अभ्यावेदन लिखा था.

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