Snakebite Death: केरल सरकार ने सर्पदंश को ‘अत्यंत सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व’ की बीमारी घोषित किया है. केरल लोक स्वास्थ्य अधिनियम, 2023 की धारा 28 के तहत यह निर्णय लिया गया है.
Snakebite Death: केरल सरकार ने सर्पदंश को ‘अत्यंत सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व’ की बीमारी घोषित किया है. केरल लोक स्वास्थ्य अधिनियम, 2023 की धारा 28 के तहत यह निर्णय लिया गया है. इसका उद्देश्य सर्पदंश से होने वाली मौत में कमी लाना है. इस कदम से राज्य में सर्पदंश से होने वाली मौत में कमी आने की उम्मीद है. यह फैसला केरल उच्च न्यायालय के 26 सितंबर को दिए गए निर्देश के बाद आया, जिसमें सर्पदंश पीड़ितों, विशेषकर बच्चों के तत्काल उपचार में कमियों को उजागर करने वाली दो याचिकाओं का निपटारा किया गया था. सरकार का कहना है कि सर्पदंश से होने वाली मौत को कम करना और ग्रामीण तथा जंगल के सीमावर्ती इलाकों में उचित इलाज सुनिश्चित करना इस कदम का मुख्य लक्ष्य है. अब स्वास्थ्य अधिकारियों को एक समान उपचार मानक लागू करने और एंटी-वेनम की आपूर्ति को मजबूत करने में मदद मिलेगी. सितंबर 2025 में केरल उच्च न्यायालय ने सरकार को दो महीने के भीतर सर्पदंश को एक अधिसूचित बीमारी घोषित करने का निर्देश दिया था.
छात्रा की सर्पदंश से हुई मौत के बाद आया निर्देश
यह निर्देश 2019 में वायनाड के एक सरकारी स्कूल में एक छात्रा की सर्पदंश से हुई मौत के बाद दायर याचिकाओं के बाद आया था. अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) डॉ. राजन खोबरागड़े द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में कहा गया है कि सांप के डसने से होने वाले विष को पूरे राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व की बीमारी घोषित किया जाता है. मालूम हो कि सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व की बीमारी वह बीमारी है जो किसी समुदाय या बड़े जनसमूह के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. इस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता होती है. इनमें संक्रामक बीमारियां (जैसे मलेरिया, डेंगू, चेचक) और गैर-संचारी बीमारियां (जैसे हृदय रोग, मधुमेह) दोनों शामिल हैं. इन्हें स्वास्थ्य अधिकारियों को रिपोर्ट करना होता है ताकि रुझानों को ट्रैक किया जा सके और प्रकोपों को रोका जा सके.
हर जगह होगी एंटी-वेनम की आपूर्ति
कहा गया है कि यदि समय पर उचित उपचार नहीं किया जाता है, तो विषैले सांपों के डसने से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है. मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति शोभा अन्नम्मा इपेन की खंडपीठ ने ये निर्देश 26 सितंबर को केरल में सर्पदंश के शिकार बच्चों के तत्काल उपचार के लिए आवश्यक चिकित्सा देखभाल की कमी को उजागर करने वाली दो याचिकाओं का निपटारा करते हुए दिए. ये याचिकाएं 20 नवंबर, 2019 को वायनाड जिले के सुल्तान बाथरी के एक सरकारी स्कूल में सर्पदंश से एक छात्रा की मौत के बाद दायर की गई थी. निर्देश जारी करने से पहले पीठ ने पाया कि स्कूलों में सर्पदंश से निपटने के लिए विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करने हेतु कोई व्यापक नीति नहीं है. पीठ ने यह भी कहा कि भारत के कई राज्यों ने सर्पदंश के विष को एक अधिसूचित रोग घोषित किया है, जिससे मामलों की रिपोर्ट करना अनिवार्य हो गया है. हालांकि केरल में सर्पदंश के विष को अभी तक एक अधिसूचित रोग घोषित नहीं किया गया था. अब स्वास्थ्य अधिकारियों को एक समान उपचार मानक लागू करने और एंटी-वेनम की आपूर्ति को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
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