India-America Relation : भारत कई वर्षों से तेल की खरीद करता आ रहा है. अब अमेरिका दावा कर रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह के बाद इंडिया तेल में कटौती कर सकता है.
India-America Relation : भारत और अमेरिका के बीच में ट्रेड डील को लेकर उच्च प्रतिनिधिमंडल अमेरिका में चर्चा कर रहा है और इसी बीच रूसी तेल की खरीद को लेकर भी घमासान मचा हुआ है. इसी बीच व्हाइट हाउस ने दावा किया कि भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) के अनुरोध पर रूस से अपनी तेल खरीद कम करनी शुरू कर दी है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट (Carolyn Levitt) ने कहा कि अगर आप रूस पर लगे प्रतिबंधों को देखें और पढ़ें, तो वे काफी कड़े हैं. वह बुधवार को रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर लगाए अमेरिकी प्रतिबंधों का जिक्र कर रही थीं, रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मास्को के लिए प्रमुख राजस्व स्त्रोतों को रोकने के अमेरिकी प्रयासों का हिस्सा हैं.
क्या भारत रूसी तेल खरीदने में लाएगा कमी
कैरोलिन लेविट ने दावा किया कि मैंने कुछ अंतरराष्ट्रीय समाचार देखे हैं जिनसे पता चलता है कि चीन लगातार रूस से तेल की खरीद कम कर रहा है. साथ ही हम इस बात को भी जानते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध के बाद भारत ने भी ऐसा ही किया है. लेविट ने आगे कहा कि वाशिंगटन लगातार अपने यूरोपीय सहयोगियों से भी रूस से तेल आयात कम करने का आग्रह किया है, जिसके कारण मास्को पर दबाव बनाया जा सके कि किसी भी तरह से युद्ध को समाप्त किया जा सके. ट्रंप प्रशासन पिछले कुछ समय से दावा कर रहा है कि भारत ने आश्वासन दिया है कि वह रूस से अपने तेल आयात में उल्लेखनीय कमी लाएगा.
भारत अपने हितों का रखेगा ध्यान
हालांकि, भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा नीति अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में ही चलेंगी. खासकर अपने उपभोक्ताओं के लिए किफायती और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करने से प्रेरित है. अमेरिका का कहना है कि मास्को से कच्चा तेल खरीदकर भारत राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) को यूक्रेन युद्ध के वित्तपोषण में मदद कर रहा है. ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना करके 50 फीसदी कर दिया था और इसमें 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ रूस से तेल खरीदने के लिए लगाया गया था. नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंध गंभीर तनाव में है. भारत ने अमेरिकी कार्रवाई को अनुचित और अविवेकपूर्ण बताया है. लीविट ने कहा कि ट्रंप ने बहुत पहले ही संकेत दे दिया था कि वह रूस के खिलाफ कार्रवाई करेंगे और खासकर जब जरूरत होगी. फिलहाल के लिए ट्रंप ने शांति समझौते की दिशा में कदम बढ़ाने पर विचार किया है.
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