Chhath Puja 2025: देशभर में छठ पूजा की धूम दिखआई दे रही है और लोगों के बीच उत्साह देखा जा रहा है. इस दौरान महिलाएं कोसी भी भरती जो बिहार के कई हिस्सों में कोसी भरने की परंपरा है.
Chhath Puja 2025: देशभर में छठ पूजा का तेज दिखाई दे रहा है. आज तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के दौरान बिहार के कई हिस्सों में कोसी भरने की पुरानी परंपरा है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि आखिर क्यों कोसी भरी जाती है. मान्यताओं की माने तो कोसी भरना आस्था के साथ-साथ कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है. इतना ही नहीं किसी मन्नत के पूरे होने पर भी छठी मैया को आभार व्यक्त करने के लिए कोसी भरा जाता है.
महिलाएं क्यों भरती हैं कोसी ?
मनोकामना पूरी होने पर
कई बार आपकी ऐसी इच्छा होती है जिसे पूरा होने के बाद महिलाएं कोसी भरती हैं. जब भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने का अनुभव करते हैं, तो वह छठी मैयी के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए कोसी भरते हैं.
यह भी पढ़ें- माता सीता या सूर्यपुत्र कर्ण, किसने सबसे पहले किया था छठ का व्रत, जानें कैसे बना यह बिहार का महापर्व
संतान की प्राप्ति
इतना ही नहीं परिवार में सुख-समृद्धि, संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी कोसी भरी जाती है.
क्या है कोसी भरने की विधि
इस दौरान संध्या अर्घ्य के समय, घर की छत या आंगन में गन्नों से एक छत्र बनाए और मिट्टी का हाथी रखा जाता है और फिर उसके ऊपर कलश रखा जाता है. कलश और हाथी में प्रसाद और पूजा से जुड़ी सामग्री सजाई जाती है और दीया जलाया जाता है. बता दें कि कोसी छठ पूजा का एक खास परंपरा है, जिसमें गन्नों से छत्र बनाकर उसके बीच में मिट्टी का हाथी और कलश रखा जाता है. इसमें प्रसाद और पूजन के सामान को सजाया जाता है.
यह भी पढ़ें: नहाय-खाय से लेकर अर्घ्य तक, जानें चार दिनों के छठ महापर्व की हर विधि और नियम का महत्व
