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स्मार्ट खेती की ओर दुनिया: इंटरनेट व हरित ऊर्जा से कृषि में क्रांति, बढ़ी उत्पादकता, 27 देशों पर अध्ययन

by Sanjay Kumar Srivastava
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NIT Rourkela

NIT Rourkela: भारतीय और तुर्की के शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं कि डिजिटल उपकरण कृषि उत्पादकता में कैसे बदलाव ला सकते हैं.

NIT Rourkela: एनआईटी राउरकेला और तुर्की के अज़रबैजान स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ इकोनॉमिक्स के शोधकर्ताओं ने डिजिटल उपकरणों और नवीकरणीय ऊर्जा से 27 विकासशील देशों में कृषि उत्पादकता और स्थिरता पर एक अध्ययन किया है. अध्ययन में इंटरनेट, मोबाइल कनेक्टिविटी, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि भूमि और उर्वरक के उपयोग का खाद्य उत्पादन पर सामूहिक प्रभाव पाया गया है. शोधकर्ताओं के अनुसार, ये प्रौद्योगिकियां कृषि में महत्वपूर्ण बदलाव ला रही हैं. इस अध्ययन के निष्कर्ष प्रतिष्ठित पत्रिका “टेक्नोलॉजी एनालिसिस एंड स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट” में प्रकाशित हुए हैं. हमारे संवाद और कार्य करने के तरीके से लेकर भोजन उत्पादन और अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति तक, हर चीज़ में इंटरनेट और नवीकरणीय ऊर्जा के कारण क्रांति आ रही है. कृषि में इंटरनेट ने भोजन के उत्पादन, विपणन और उपभोग के तरीके को बदल दिया है. किसान अब अपनी उपज बेचने से पहले बाज़ार भाव देख सकते हैं, ऑनलाइन उर्वरकों की कीमतों की तुलना कर सकते हैं और टिकाऊ खेती की तकनीकें सीख सकते हैं.

सौर ऊर्जा से छोटे किसानों को राहत

एनआईटी राउरकेला के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर नारायण सेठी के अनुसार, एक साधारण मोबाइल फ़ोन किसानों और बाज़ार के बीच की खाई को पाट सकता है. पारदर्शिता, सौदेबाजी की शक्ति और समग्र दक्षता में सुधार ला सकता है. उभरते तकनीकी रुझानों के साथ-साथ, नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ता रुझान कृषि पद्धतियों को भी बदल रहा है. सेठी ने कहा कि सौर ऊर्जा से सिंचाई छोटे किसानों को अनियमित बिजली आपूर्ति से निपटने में मदद कर रही है. सेठी ने कहा कि इंटरनेट और नवीकरणीय ऊर्जा कृषि को कैसे प्रभावित कर रहे हैं, इस बारे में बोलते हुए सेठी ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों में कृषि क्षेत्र रोज़गार और आय का एक प्रमुख स्रोत है. सरकार बहुफसली प्रणालियों, सिंचाई तकनीकों और उर्वरकों के उचित उपयोग के माध्यम से टिकाऊ खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्राथमिकता दे सकती है. शोध दल ने 2000 से 2021 तक 27 विकासशील देशों के कृषि-संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए उन्नत अर्थमितीय विधियों का उपयोग किया.

विकासशील देशों की रीढ़ है कृषि

शोधकर्ताओं ने पाया कि इंटरनेट, मोबाइल फ़ोन और नवीकरणीय ऊर्जा ये तीनों ही कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देते हैं. एनआईटी-राउरकेला की शोधार्थी लितु सेठी ने कहा कि कृषि विकासशील देशों की रीढ़ है, जहां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में लगे कार्यबल का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा कृषि से जुड़ा है. शोधकर्ताओं ने कहा कि विकासशील देशों की सरकारों को ग्रामीण किसानों के लिए इंटरनेट पहुंच बढ़ाने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए आईसीटी अवसंरचना में निवेश करना चाहिए. मुफ्त या सब्सिडी वाली मोबाइल सेवाएं प्रदान करने वाली नीतियां छोटे किसानों को बाज़ार, मौसम और मृदा स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं. साथ ही सिंचाई और कोल्ड स्टोरेज के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को अधिक से अधिक अपनाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. सेठी ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा को डिजिटल उपकरणों के साथ एकीकृत करना सतत कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देना है.

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