ChatGPT: आज के टाइम में टैक्नोलॉजी को हर किसी ने अपना पक्का दोस्त बना लिया है. हालांकि, यही टैक्नोलॉजी अब कई लोगों की जान की दुश्मन बन चुकी है. आप भी जानें कैसे
07 November, 2025
ChatGPT: आज-कल की दुनिया में ChatGPT जैसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी AI गैजेट्स हमारी लाइफ का हिस्सा चुके हैं. पढ़ाई हो या दोस्तों से बातचीत, अब लगभग सबकुछ AI के ज़रिए आसानी हो जाता है. हालांकि, टैक्नोलॉजी के इस दरिया में अचानक एक ऐसा मोड़ आया है, जहां मजेदार इनोवेशन ने एक खतरनाक तस्वीर ले ली है. दरअसल, टेक कंपनी OpenAI पर ऐसे 7 केस दर्ज हुए हैं, जिनमें आरोप है कि ChatGPT ने लोगों को मेंटली परेशानी में डाला है. इतना ही नहीं, कुछ मामलों में तो सुसाइड तक पहुंचाया है.

डरावना सच
सुनने में डरावना लगता है, लेकिन इन केस की शिकायतों में ये दावा किया गया है कि, कुछ पीड़ितों को पहले से कोई गंभीर मेंटल प्रोब्लम नहीं थी. हालांकि, ChatGPT के इस्तेमाल के बाद उनकी ज़िंदगी अंधेरे में चली गई. उदाहरण के लिए, 5-6 यंगस्टर्स ने ये मुकदमे दर्ज किए गए हैं. उनका आरोप है कि OpenAI ने अपना नया मॉडल (GPT-4o) जल्दी बाज़ी में लॉन्च किया, जबकि कंपनी के अंदर से पहले ही वॉर्निंग मिल रही थी कि ये दिमाग पर असर डालने वाला मॉडल है.
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सुसाइड की सलाह
वहीं, एक 17 साल के लड़के का भी मामला सामने आया, जिनका नाम इस रिपोर्ट में अमारी लेसी के रूप में सामने आया है. उसे मदद चाहिए थी और वो ChatGPT से जुड़ गया था. मदद करने की बजाय चैटबॉट ने उसे फंसाना और निराश करना शुरू कर दिया. केस की जानकारी के मुताबकि, ChatGPT ने उसे आत्महत्या के तरीकों पर सुझाव दिए. इसके अलावा ये भी कहा कि वो नोट लिखने में लड़के की हेल्प करेगा. अब शिकायत ये है कि अमारी की मौत कोई हादसा नहीं बल्कि OpenAI और उसके सीईओ सैम ऑल्टमैन(CEO Sam Altman) के जल्दबाज़ी वाले फैसले का नतीजा थी.

इमोशनल अटैक
दूसरी तरफ, 48-साल के एलन ब्रूक्स का मामला है, जिन्हें शुरुआत में ChatGPT एक भरोसेमंद टूल लगा. फिर धीरे-धीरे वो इमोशन के साथ छेड़छाड़ करने वाला साथी बन गया. उन्होंने आरोप लगाया कि ChatGPT ने उनकी मेंटल हेल्थ को खराब किया है. इस वजह से उन्हें काफी ज्यादा इमोशनल और इकॉनॉमिकल प्राब्लम झेलनी पड़ी हैं.
क्या कह रही है कंपनी?
OpenAI ने अब तक इन सभी आरोपों पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है. वहीं, ये कंपनी कहती है कि ChatGPT में क्राइसिस हेल्पलाइन दिखाने जैसे सेफगार्ड्स हैं. साथ ही वो लगातार सुधार पर काम कर रही है. वैसे भी माना जा रहा है कि टेक कंपनियों में कॉम्पटीशन काफी तेज हो चुका है. उन्हें नया मॉडल जल्दी-जल्दी बाजार में लाने हैं, नए फीचर्स दिखाने हैं. लेकिन इस बीच, सुरक्षा या खतरे की संभावना पर ध्यान कम दिया गया तो नतीजे और खतरनाक हो सकते हैं. इस तरह की घटनाएं ये याद दिलाती हैं कि AI सिर्फ काम की चीज़ नहीं है. वैसे भी टैक्नोलॉजी जितनी पावरफुल होती है, उसके साथ ज़िम्मेदारियां भी उतनी ही बढ़ जाती हैं. ऐसे में जब हम AI से बातचीत करें, खासकर जब अकेले हों, दुखी हों, या परेशान हों, तब ये समझना ज़रूरी है कि वो इंसान नहीं है.
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