Home Top News UIDAI–EC कनेक्शन पर सियासी तूफान: TMC सांसद का निष्क्रिय आधार सूची पर बड़ा आरोप

UIDAI–EC कनेक्शन पर सियासी तूफान: TMC सांसद का निष्क्रिय आधार सूची पर बड़ा आरोप

by Sanjay Kumar Srivastava
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Saket Gokhale

Trinamool Congress: तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने गुरुवार को गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि यूआईडीएआई (UIDAI) ने पश्चिम बंगाल के निष्क्रिय आधार नंबरों की सूची चुनाव आयोग के साथ साझा की है.

Trinamool Congress: तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने गुरुवार को गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि यूआईडीएआई (UIDAI) ने पश्चिम बंगाल के निष्क्रिय आधार नंबरों की सूची चुनाव आयोग के साथ साझा की है, जबकि उसने पहले दावा किया था कि ऐसी कोई सूची उसके पास मौजूद नहीं होती. गोखले ने कहा कि चुनाव आयोग और मोदी सरकार का UIDAI वोट चोरी के लिए सांठगांठ कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हाल में 30–32 लाख निष्क्रिय आधार नंबरों को चुनाव आयोग को सौंपे जाने की जानकारी सामने आई थी, जिन्हें मृत व्यक्तियों का बताया गया. गोखले के अनुसार, यह बड़ा घोटाला है क्योंकि पिछले साल यूआईडीएआई ने उन्हें लिखित रूप में कहा था कि वह निष्क्रिय आधार नंबरों का न तो राज्यवार और न ही कारणवार रिकॉर्ड रखता है. उन्होंने मांग की कि इस मामले में पारदर्शिता लाई जाए और इसकी पूरी जांच हो.

पश्चिम बंगाल में 30-32 लाख आधार निष्क्रिय

उन्होंने UIDAI द्वारा 26 फ़रवरी 2024 को दिए गए एक जवाब को साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यवार और कारणवार आंकड़े नहीं रखे जाते हैं. जवाब में यह भी कहा गया था कि तब तक 103 लाख आधार कार्ड निष्क्रिय कर दिए गए थे, जिनमें 82 लाख ऐसे लोग शामिल थे जिनकी मृत्यु हो चुकी है. उन्होंने कहा कि दूसरे शब्दों में यूआईडीएआई (UIDAI) ने मुझे लिखित में बताया कि वह केवल निष्क्रिय किए गए आधारों की एक सामान्य सूची रखता है. उसे नहीं पता कि ये आधार किन राज्यों में जारी किए गए थे और निष्क्रिय करने का कारण क्या था. उन्होंने आगे कहा कि यूआईडीएआई ने संसद में भी यही बात कही थी. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में यूआईडीएआई (UIDAI) कैसे दावा कर रहा है कि विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में 30-32 लाख निष्क्रिय आधार हैं, जबकि वह राज्यवार आंकड़े नहीं रखता है?

SIR की आड़ में वोट चोरी

उन्होंने कहा कि यूआईडीएआई (UIDAI) को कैसे पता कि बंगाल में 30-32 लाख आधार आधार कार्ड धारक की मृत्यु के कारण निष्क्रिय कर दिए गए हैं, जबकि वह कारण-वार डेटा भी नहीं रखता है? कहा कि यह मतदाताओं के बड़े पैमाने पर नाम हटाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा भाजपा के साथ सांठगांठ का एक और बेशर्म उदाहरण है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के यूआईडीएआई (UIDAI) को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्होंने संसद में झूठ बोला था या अब SIR की आड़ में चुनाव आयोग और भाजपा को वोट चोरी में मदद करने के लिए झूठ बोल रहे हैं? यूआईडीएआई अधिकारियों ने इस सप्ताह की शुरुआत में चुनाव आयोग को सूचित किया कि जनवरी 2009 में पहचान पत्र पेश किए जाने के बाद से पश्चिम बंगाल में लगभग 34 लाख आधार कार्ड धारक ‘मृत’ पाए गए हैं.

13 लाख लोगों के पास आधार कार्ड नहीं

UIDAI अधिकारियों ने चुनाव आयोग को यह भी बताया कि राज्य में लगभग 13 लाख लोगों के पास कभी आधार कार्ड नहीं थे, लेकिन उनकी मृत्यु हो गई है. कोलकाता में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की चल रही गणना के बीच यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के अधिकारियों और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल के बीच एक बैठक के दौरान यह जानकारी साझा की गई. बैठक चुनाव आयोग के एक निर्देश के बाद हुई, जिसमें सभी राज्य के सीईओ को मतदाता डेटा को सत्यापित करने और विसंगतियों की पहचान करने के लिए आधार अधिकारियों के साथ समन्वय करने के लिए कहा गया था.

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