Defence Ministry: भारत की सेना को मजबूत करने के लिए अब डिफेंस मिनिस्ट्री ने बड़ा फैसला लिया है. हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ी डील का एलान किया है.
23 October, 2025
Defence Ministry: भारत ने अपनी डिफेंस कैपेबिलिटी को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, गुरुवार को डिफेंस मिनिस्ट्री ने करीब 79 हजार करोड़ रुपये की रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी है. इन प्रपोज़ल में नाग मिसाइल सिस्टम, एम्फीबियस वारफेयर शिप्स, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम और कई मॉर्डन मिलिट्री इक्विपमेंट शामिल हैं. आपको बता दें इसकी मंजूरी रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में दी गई, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की.
बड़ा सौदा
ये इस साल की दूसरी बड़ा डिफेंस डील है. इससे पहले 5 अगस्त को 67,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई थी. ये नया फैसला ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की डिफेंस तैयारियों को एक नए लेवल पर ले जाने वाला कदम माना जा रहा है. नौसेना के लिए इस बैठक में कई बड़ी मंजूरियां दी गईं. अब भारतीय नौसेना को लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD), 30 मिमी नेवल सरफेस गन (NSG), एडवांस्ड लाइटवेट टॉरपीडो (ALWT), इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड ट्रैक सिस्टम और स्मार्ट एम्युनिशन मिलने जा रहा है. LPD जहाज नौसेना को आर्मी और एयर फोर्स के साथ मिलकर एम्फीबियस (समुद्र और जमीन दोनों पर) ऑपरेशन करने में मदद करेंगे. ये शिप डिजास्टर रिलीफ, मानवीय सहायता और पीस मिशन में भी बड़ी भूमिका निभाएंगे.
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DRDO की देसी टॉरपीडो
खास बात ये है कि ALWT पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित की गई है, जिसे DRDO की नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी ने बनाया है. ये टॉरपीडो दुश्मन की पारंपरिक, परमाणु या छोटी पनडुब्बियों को निशाना बनाने में सक्षम है. इसके अलावा भारतीय सेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम (NAMIS) Mk-II, ग्राउंड बेस्ड मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम (GBMES) और हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (HMV) की खरीद को भी मंजूरी दी गई है. इन मिसाइलों के आने से सेना की दुश्मन के टैंकों, बंकरों और फील्ड फोर्टिफिकेशन को तबाह करने की क्षमता और बढ़ जाएगी. वहीं, GBMES सिस्टम 24×7 दुश्मन की गतिविधियों पर इलेक्ट्रॉनिक नजर रखेगा.
भारतीय वायुसेना
वायुसेना के लिए CLRTS/DS (Collaborative Long Range Target Saturation/Destruction System) को भी मंजूरी दी गई है. ये अत्याधुनिक सिस्टम स्वचालित टेक-ऑफ, लैंडिंग और टारगेट डिलीवरी में सक्षम है. कुल मिलाकर, ये फैसला न सिर्फ भारतीय सेनाओं की ताकत को कई गुना बढ़ाने वाला है, बल्कि ये आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और ठोस कदम भी है. भारत अब पहले से कहीं ज्यादा तैयार, मॉर्डन और आत्मनिर्भर होकर अपनी सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए तैयार है.
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