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एक गलती और छिन सकती है आपकी सरकारी पेंशन, जान लें सरकार के ये नए नियम, PSU कर्मचारियों को बड़ा झटका

by Jiya Kaushik
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Business Update: सरकारी सेवा से पेंशन पाना अब केवल नौकरी पूरी कर लेने का परिणाम नहीं है, बल्कि यह पूरे करियर के अनुशासन और ईमानदारी से जुड़े आचरण पर भी निर्भर करेगा. सरकार का यह निर्णय जवाबदेही बढ़ाने और पेंशन प्रणाली को अनुशासित बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

PSU News Update: सरकारी सेवा से पेंशन पाना अब केवल नौकरी पूरी कर लेने का परिणाम नहीं है, बल्कि यह पूरे करियर के अनुशासन और ईमानदारी से जुड़े आचरण पर भी निर्भर करेगा. सरकार का यह निर्णय जवाबदेही बढ़ाने और पेंशन प्रणाली को अनुशासित बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

PSU News Update: सरकार ने केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे लाखों पूर्व सरकारी कर्मचारियों की पेंशन पर खतरे की तलवार लटक गई है. यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले के बाद किया गया है, जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) में समाहित हो चुके कर्मचारियों के गलत आचरण पर उनकी सरकारी पेंशन भी छीनी जा सकती है. यह नियम अब लागू हो चुका है और इसके तहत सरकारी सेवाओं से जुड़े वे कर्मचारी जो अब PSU में स्थायी रूप से कार्यरत हैं, उन्हें अपने आचरण को लेकर अधिक सतर्क रहना होगा. PSU में कार्यरत पूर्व सरकारी कर्मचारियों को अब अपने हर कदम पर सोच-समझकर चलना होगा, क्योंकि एक भी बड़ी गलती पूरे रिटायरमेंट को संकट में डाल सकती है.

नया नियम क्या कहता है?

22 मई को डिपार्टमेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर्स वेलफेयर (DoPPW) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अगर कोई पूर्व सरकारी कर्मचारी, जो अब किसी PSU जैसे BSNL, HAL, BHEL आदि में स्थायी रूप से समाहित हो चुका है, वहां अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार या किसी अन्य गंभीर गड़बड़ी के चलते निकाला जाता है, तो उसकी सरकारी नौकरी से जुड़ी रिटायरमेंट पेंशन भी जब्त की जा सकती है.
इसका मतलब यह है कि अब PSU में किए गए आचरण का असर आपके पहले की सरकारी नौकरी पर भी पड़ेगा, और यह सिर्फ वर्तमान नौकरी ही नहीं, बल्कि आपकी भविष्य की वित्तीय सुरक्षा यानी पेंशन को भी खत्म कर सकता है.

जानें पहले क्या था नियम?

संशोधन से पहले तक नियम 37(29)(c) के तहत यह स्पष्ट रूप से तय था कि अगर कोई कर्मचारी PSU में कार्यरत रहते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करता है, तो इसका असर उसकी पुरानी सरकारी सेवा से जुड़ी पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभों पर नहीं पड़ेगा. ऐसे मामलों में कर्मचारी को सिर्फ PSU से निकाला जाता था, जबकि पेंशन बरकरार रहती थी.
लेकिन अब इस व्यवस्था को बदल दिया गया है. अब PSU में भी गलत आचरण करने पर सरकारी सेवा से अर्जित पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स भी खतरे में पड़ सकते हैं.

इस मामले के चलते हुआ बदलाव

बते दें, ये संशोधन 9 जनवरी 2023 को हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किया गया है. “सुरज प्रताप सिंह बनाम CMD BSNL” मामले में यह आदेश दिया गया था, जिसमें ये सवाल उठा था कि क्या PSU में अनुशासनहीनता की वजह से पेंशन लाभों को रोका जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पेंशन सरकारी सेवा से जुड़ा लाभ है, लेकिन अगर कर्मचारी PSU में गंभीर अनुशासनहीनता करता है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए, जिसमें पेंशन की जब्ती भी शामिल हो सकती है.
इस निर्देश के आधार पर केंद्र सरकार ने नियमों में आवश्यक संशोधन कर दिए हैं.

इन पर लागू होगा यह नया प्रावधान

यह नियम उन पूर्व सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगा जो किसी सरकारी विभाग से किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) में स्थायी रूप से ट्रांसफर होकर शामिल हुए हैं. उदाहरण के लिए,

  • टेलीकॉम विभाग से BSNL या MTNL में गए कर्मचारी
  • रक्षा या उद्योग मंत्रालय से HAL, BHEL, या BEL जैसे उपक्रमों में समाहित हुए कर्मचारी
  • रेलवे या ऊर्जा विभाग से NTPC, GAIL, या अन्य कंपनियों में स्थानांतरित कर्मचारी

इन सभी कर्मचारियों को अब अपने आचरण और व्यवहार पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि PSU में की गई कोई भी गलती उनकी पेंशन छीन सकती है.

मंत्रालय करेगा अंतिम समीक्षा

हालांकि पेंशन की जब्ती का फैसला PSU द्वारा अकेले नहीं लिया जाएगा. अगर किसी कर्मचारी को अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत निकाला जाता है, तो यह मामला संबंधित मंत्रालय को भेजा जाएगा. मंत्रालय पूरी समीक्षा करेगा कि क्या की गई गलती इतनी गंभीर थी कि उसके लिए पेंशन भी जब्त की जाए.
यह समीक्षा प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि किसी के साथ अन्याय न हो, लेकिन साथ ही यह एक चेतावनी भी होगी कि अब लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है.

PSU कर्मचारियों के लिए क्या संदेश लाया है नया नियम?

सरकार के इस नए प्रावधान से स्पष्ट है कि PSU में कार्यरत पूर्व सरकारी कर्मचारियों को अब अतिरिक्त सतर्कता और ईमानदारी के साथ काम करना होगा. जहां पहले नौकरी से निकाले जाने पर सिर्फ वर्तमान आय पर असर पड़ता था, वहीं अब यह आपकी बीते वर्षों की मेहनत से कमाई गई पेंशन को भी छीन सकता है.
यह नियम न केवल अनुशासन बनाए रखने की दिशा में एक सख्त कदम है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि पेंशन केवल उन्हीं को मिले जो अपने पूरे सेवाकाल में ईमानदारी से कार्य करते रहें.

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