Supreme Court on IIT Kharagpur: छात्रों की आत्महत्याओं पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख दर्शाता है कि अब सिर्फ शोक व्यक्त करने का समय नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने का है. पढ़े पूरी खबर.
Supreme Court on IIT Kharagpur: देश की प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थाएं एक बार फिर कटघरे में हैं, इस बार छात्रों की आत्महत्याओं को लेकर. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को IIT खड़गपुर और शारदा यूनिवर्सिटी में हुए आत्महत्या मामलों पर गहरी चिंता जताई और दोनों मामलों में तेज़ जांच के निर्देश दिए. अदालत ने सवाल उठाया कि आखिर IIT खड़गपुर में “गलत क्या हो रहा है” कि छात्र जान देने को मजबूर हो रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल
न्यायमूर्ति जे बी पारडीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने IIT खड़गपुर के वकील से सीधा सवाल किया,“आपके संस्थान में क्या गलत हो रहा है? छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? क्या आपने इस समस्या पर गंभीरता से विचार किया?” यह सवाल उस मामले के संदर्भ में उठाया गया जिसमें एक चौथे वर्ष के मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्र ने आत्महत्या कर ली थी.
क्या है शारदा यूनिवर्सिटी मामला?
शारदा यूनिवर्सिटी में एक छात्रा की आत्महत्या पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच में लापरवाही को लेकर भी नाराज़गी जताई. जब अदालत को बताया गया कि मृतक छात्रा के पिता ने FIR दर्ज कराई, तो कोर्ट ने पूछा,“उन्हें कैसे पता चला कि उनकी बेटी ने आत्महत्या की? किसने सूचना दी?” कोर्ट ने दो टूक कहा,“यह आपकी ज़िम्मेदारी थी कि आप तुरंत पुलिस और परिजनों को सूचित करते. हम ये सब अपने बच्चों के लिए कर रहे हैं.”
IIT खड़गपुर का बचाव और परामर्श व्यवस्था
IIT खड़गपुर के वकील ने बताया कि संस्थान ने इस मामले में 10-सदस्यीय समिति बनाई है और 12 सदस्यीय काउंसलिंग सेंटर भी सक्रिय है. उन्होंने कहा, “कई छात्र अपनी मानसिक परेशानी छुपाते हैं. काउंसलिंग सेंटर उन्हें पहचानने की कोशिश करता है.” हालांकि, कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं दिखा और जांच तेज़ करने का आदेश दिया.

अमीकस क्यूरी की रिपोर्ट और जांच की प्रगति
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त वरिष्ठ वकील अपर्णा भट्ट ने दोनों मामलों में जांच की स्थिति अदालत को बताई. शारदा यूनिवर्सिटी के मामले में उन्होंने कहा कि छात्रा की आत्महत्या नोट में दो लोगों का नाम था जिन्हें गिरफ्तार किया गया है. IIT खड़गपुर के मामले में संस्थान ने खुद शिकायत दर्ज कराई थी और जांच अभी जारी है.
मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स काम कर रही है
कोर्ट ने यह भी बताया कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्याओं की रोकथाम के लिए मार्च में गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स काम कर रही है, लेकिन रिपोर्ट आने में समय लगेगा.
छात्रों की आत्महत्याओं पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख दर्शाता है कि अब सिर्फ शोक व्यक्त करने का समय नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने का है. शिक्षा संस्थानों को केवल अकादमिक उत्कृष्टता ही नहीं, बल्कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी उठानी होगी. अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख चार सप्ताह बाद तय की है.
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