Home Top News Axiom-4 मिशन फिर टला, शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा में बार-बार हो रही देरी

Axiom-4 मिशन फिर टला, शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा में बार-बार हो रही देरी

by Rishi
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Axiom-4 Mission

Axiom-4 Mission: SpaceX के अनुसार, रॉकेट के एक हिस्से में लिक्विड ऑक्सीजन (LOx) का रिसाव पाया गया है. यह खराबी रॉकेट की नियमित जांच के दौरान सामने आई.

Axiom-4 Mission: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक की ऐतिहासिक यात्रा Axiom-4 मिशन एक बार फिर टल गया है. SpaceX कंपनी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि रॉकेट में तकनीकी खराबी के कारण लॉन्च को स्थगित करना पड़ा है. इस मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला ISS पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने वाले हैं, जो राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय होंगे.

SpaceX के अनुसार, रॉकेट के एक हिस्से में लिक्विड ऑक्सीजन (LOx) का रिसाव पाया गया है. यह खराबी रॉकेट की नियमित जांच के दौरान सामने आई. कंपनी की तकनीकी टीम इस गड़बड़ी को ठीक करने में जुटी है. SpaceX ने स्पष्ट किया कि जब तक मरम्मत पूरी नहीं हो जाती और लॉन्च के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां नहीं मिल जातीं, तब तक नई लॉन्च तारीख की घोषणा नहीं की जाएगी. इस देरी ने मिशन की तैयारियों पर असर डाला है, लेकिन सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह कदम उठाया गया है.

मौसम भी बन सकता था रुकावट

तकनीकी खराबी के अलावा मौसम भी लॉन्च में बाधा बन सकता था। मौसम विभाग के अनुसार, 11 और 12 जून को लॉन्च स्थल पर बारिश और तेज हवाओं की संभावना थी, जो मिशन के लिए अनुकूल नहीं थी. SpaceX ने मौसम की स्थिति और तकनीकी खराबी दोनों को ध्यान में रखते हुए लॉन्च को टालने का फैसला किया. विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरिक्ष मिशन में सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, और ऐसी परिस्थितियों में देरी स्वाभाविक है.

शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक भूमिका

शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं और वह ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय होंगे. उनके साथ इस मिशन में अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं. यह मिशन करीब 2 से 3 सप्ताह तक चलेगा, जिसके दौरान अंतरिक्ष स्टेशन पर कई वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे. शुभांशु की यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए गर्व का क्षण होगी. राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान पर अंतरिक्ष की यात्रा की थी, और अब शुभांशु इस विरासत को आगे बढ़ाने जा रहे हैं.

सबकी नजर मरम्मत और मौसम पर

अब सभी की नजर SpaceX की मरम्मत प्रक्रिया और मौसम की स्थिति पर टिकी है. कंपनी ने भरोसा दिलाया है कि वह जल्द से जल्द इस खराबी को ठीक कर मिशन को फिर से शुरू करने की दिशा में काम कर रही है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और SpaceX के सहयोग से यह मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा. शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम की इस यात्रा का इंतजार पूरे देश को है.

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