Home Top News 228 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी: अनिल अंबानी के बेटे के आवास पर CBI का छापा, कई दस्तावेज बरामद

228 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी: अनिल अंबानी के बेटे के आवास पर CBI का छापा, कई दस्तावेज बरामद

by Sanjay Kumar Srivastava
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RHFL–Union Bank Fraud: CBI मंगलवार को उद्योगपति अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी के आवास पर पहुंची. CBI ने पूरे आवास की तलाशी ली.

RHFL–Union Bank Fraud: CBI मंगलवार को उद्योगपति अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी के आवास पर पहुंची. CBI ने पूरे आवास की तलाशी ली. CBI ने उद्योगपति अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी के आवास पर मंगलवार को छापेमारी की. अधिकारियों ने बताया कि जय अनमोल और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के खिलाफ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 228 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने बैंक (तत्कालीन आंध्रा बैंक) की ओर से रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड, तत्कालीन निदेशक जय अनमोल और पूर्व सीईओ रवींद्र शरद सुधाकर के खिलाफ शिकायत पर कार्रवाई की. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि कंपनी ने बैंक से लिए गए ऋण का भुगतान नहीं किया, जिससे खाता 2019 में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति में बदल गया.

कंपनी ने लिया था 5572.35 करोड़ का लोन

सीबीआई ने मुंबई में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश की अदालत से तलाशी वारंट प्राप्त किया और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के दो आधिकारिक परिसरों, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के तत्कालीन निदेशक अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी के आवासीय परिसर और आरएचएफएल के पूर्व सीईओ व पूर्णकालिक निदेशक रवींद्र सुधालकर के आवासीय परिसरों में तलाशी शुरू की है. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई की टीमें मंगलवार सुबह मुंबई के कफ परेड में अनिल अंबानी के आवास सी विंड बिल्डिंग की सातवीं मंजिल पर पहुंचीं, जहां से तलाशी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज कब्जे में लिए गए. उन्होंने कहा कि रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड ने 18 बैंकों, वित्तीय संस्थानों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित कॉर्पोरेट निकायों से 5572.35 करोड़ रुपये का लोन लिया था.

लोन की राशि का किया गया दुरुपयोग

शिकायत में कहा गया है कि रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड ने व्यावसायिक जरूरतों के लिए मुंबई में एससीएफ शाखा में काम किया था. बैंक ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखने की शर्त रखी थी, जिसमें समय पर पुनर्भुगतान, ब्याज व अन्य शुल्कों की सेवा, आवश्यक कागजात जमा करना और बैंक खाते के माध्यम से पूरी बिक्री आय को रूट करना शामिल था. अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ने बैंक को किस्तों का भुगतान नहीं किया, जिससे उक्त खाते को 30 सितंबर, 2019 को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि ग्रांट थॉर्नटन (जीटी) द्वारा 1 अप्रैल 2016 से 30 जून 2019 की समीक्षा अवधि के लिए खातों की फोरेंसिक जांच की गई, जिसमें पता चला कि उधार ली गई धनराशि का दुरुपयोग किया गया था. इसे धन का डायवर्जन माना गया था. बैंक ने आरोप लगाया कि उधारकर्ता कंपनी के पूर्व प्रमोटरों/निदेशकों ने खातों में हेरफेर और धन की धोखाधड़ी की.

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