शुभांशु शुक्ला की बहन शुची शुक्ला ने न्यूज चैनल लाइव टाइम्स से बातचीत करते हुए बताया कि शुभांशु शुक्ला अपने साथ क्या-क्या चीजें ले गए हैं.
Shubhanshu Shukla: 25 जून… ये तारीख भारत के इतिहास में कुछ खट्टी और कुछ मीठी यादों के लिए जानी जाती है. 25 जून 1975 को जहां देश को आपातकाल का दंश झेलना पड़ा तो वहीं 25 जून 1983 को क्रिकेट वर्ल्ड कप जीत का स्वाद चखने का मौका मिला. आज से इतिहास में 25 जून 2025 को भी याद रखा जाएगा और उसकी वजह बने हैं भारत के लाल शुभांशु शुक्ला, जो अब महज एक शख्सियत नहीं बल्कि वो पल और लम्हा बनकर उभरे हैं जिनपर हर देशवासी गौरवान्वित महसूस कर रहा है. लखनऊ के रहने वाले शुभांशु शुक्ला ने बुधवार को एक्सिओम-4 मिशन के जरिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए उड़ान भरी. नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ अंतरिक्ष यान करीब 28 घंटे बाद अपनी डेस्टिनेशन यानी कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचेगा. 41 साल बाद भारत की झोली में ये गर्व का पल आया है और शुभांशु के शौर्य को देश सलाम कर रहा है. उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद शुभांशु ने अपना मैसेज भेजा जिसमें उन्होंने कहा, “नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों. 41 साल बाद हम वापस अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं. ये मेरी इंटरनेशन स्पेस स्टेशन तक की जर्नी की शुरुआत नहीं है बल्कि ये भारत के ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत है.”
शुभांशु की उपलब्धि पर क्या बोलीं उनकी बहन?
लाइव टाइम्स के शो ‘खबर ठोक के’ में वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने शुभांशु की बहन शुची शुक्ला से इस खास मौके पर बात की. शुची शुक्ला ने कहा, “16 साल की उम्र में ही शुभांशु को पता था कि उन्हें क्या करना है. NDA में सेलेक्शन के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. बचपन से ही उन्हें स्पीड काफी थ्रिल करती थी. बचपन से ही वो काफी चैनलाइज्ड थे और पता था कि अपनी एनर्जी कहां कन्जूयम करनी है.”
‘दोस्तों ने भरा फॉर्म तो खुद भी NDA में लिया एडमिशन’
शुची शुक्ला ने कहा, “शुभांशु अपने डिसीजन को लेकर बहुत क्लियर रहते हैं और जब कुछ ठान लेते हैं तो उससे पीछे नहीं हटते हैं. मेक श्योर करते हैं कि जो डिसिजन लिया है, वो उनके फेवर में ही जाए. उनके अंदर जो जज्बा है हर चीज को अपने पक्ष में करने का, शायद यही उनको इतनी ऊंचाइयों पर ले जा रहा है.” इस दौरान शुभांशु की बहन ने उनके NDA में जाने के पीछे की कहानी भी बता दी. उन्होंने कहा, “शुभांशु के सारे दोस्त फॉर्म भर रहे थे कि तभी एक बच्चा ओवरएज निकल गया. इसके बाद दोस्तों ने शुभांशु से कहा कि एक फॉर्म है तो उन्होंने कहा कि लाओ इसे मैं भर देता हूं. फॉर्म भरकर कैजुअली एग्जाम देने गए क्योंकि उन्होंने इसे ज्यादा सीरियस नहीं लिया था. हमेशा से ही ब्रिलियंट रहे मेरे भाई ने आसानी से इस एग्जाम को क्वालीफाई कर लिया.”
अपने साथ क्या खाना लेकर गए हैं शुभांशु?
शुची शुक्ला से जब शुभांशु की डाइट को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया, “हम अब उन्हें खाने के लिए नहीं पूछते हैं क्योंकि कई सालों से शुभांशु को कंट्रोल डाइट खाते देख रहे हैं. भारतीय हैं और लखनऊ के हैं तो वो अपने अंदर से इस शहर को नहीं निकाल पाए. वो अपने साथ गाजर का हलवा, मूंग की दाल का हलवा और आमरस भी लेकर जा रहे हैं. वो ये खुद भी खाएंगे और अपने साथियों को भी खिलाएंगे. वो जितनी देर भी यहां रहते हैं तो परिवार को पूरा टाइम देते हैं.”
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