Indian Air Force: इस उत्पादन से भारतीय वायुसेना की समग्र शक्ति और क्षमता में वृद्धि होगी. राजनाथ सिंह इन लड़ाकू विमानों की पहली उड़ान के गवाह बने.
Indian Air Force: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को नासिक में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के ‘एलसीए एमके1ए की तीसरी उत्पादन लाइन’ और ‘एचटीटी-40 विमान की दूसरी उत्पादन लाइन’ का उद्घाटन किया. इस तरह नासिक की उत्पादन लाइन शुरू होने के बाद हर साल 24 लड़ाकू विमानों का निर्माण होगा. नासिक से शुक्रवार को पहली बार तेजस एमके-1ए ने उड़ान भरी थी. इस उत्पादन से भारतीय वायुसेना की शक्ति और क्षमता में वृद्धि होगी. राजनाथ सिंह इन लड़ाकू विमानों की पहली उड़ान के गवाह बने. इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत घरेलू रक्षा उत्पादन की दिशा में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि विदेशी सैन्य आपूर्ति पर निर्भरता रणनीतिक कमजोरी साबित करती है. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण नासिक स्थित संयंत्र में निर्मित तेजस एमके1ए की सफल प्रथम उड़ान थी, जिसे एचएएल में फिक्स्ड-विंग विमान के मुख्य परीक्षण पायलट, ग्रुप कैप्टन वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) ने उड़ाया. राजनाथ सिंह ने कहा कि एक समय था जब देश अपनी रक्षा जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था और लगभग 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे.
रक्षा उत्पादन 1.50 लाख करोड़ रुपये
उन्होंने कहा कि लेकिन आज स्थिति बदल गई है, अब भारत 65 प्रतिशत निर्माण अपनी धरती पर कर रहा है. बहुत जल्द ही हम अपने घरेलू निर्माण को 100 प्रतिशत तक ले जाएंगे. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के तहत हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियों का ज़िक्र करते हुए सिंह ने कहा कि भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. उन्होंने कहा कि रक्षा निर्यात एक दशक पहले 1,000 करोड़ रुपये से भी कम था, लेकिन अब यह बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है. सिंह ने कहा कि हमने अब 2029 तक घरेलू रक्षा निर्माण में तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है. रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल किए बिना भारत कभी सुरक्षित नहीं रह सकता.
नासिक में बन रहे सुखोई-30 विमान
उन्होंने कहा क जब हम 2014 में सत्ता में आए, तो हमें एहसास हुआ कि आत्मनिर्भरता के बिना हम कभी भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह सकते. शुरुआत में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें सबसे बड़ी थीं सीमित रक्षा तैयारी और आयात पर निर्भरता. सिंह ने कहा कि सब कुछ सरकारी उद्यमों तक सीमित था और निजी क्षेत्र की उत्पादन में सहायक तंत्र में कोई महत्वपूर्ण भागीदारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि रक्षा नियोजन, उन्नत तकनीक और नवाचार पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था जिसने देश को महत्वपूर्ण उपकरणों और अत्याधुनिक प्रणालियों के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर किया, जिससे लागत बढ़ी और रणनीतिक कमजोरियां उत्पन्न हुईं. एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. डीके सुनील ने इसे भारतीय एयरोस्पेस के लिए गौरव का क्षण बताया. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बेहद खुशी की बात है कि सुखोई-30 विमान यहां बन रहे हैं और अब यह स्वदेशी तेजस भी. यह आत्मनिर्भर भारत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
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