इसरो जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण का अध्ययन करने तथा मौसम की निगरानी के लिए एक उपग्रह विकसित कर रहा है.
Imphal: इसरो अध्यक्ष डॉ. वी नारायणन ने कहा कि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 10 उपग्रह लगातार काम कर रहे हैं. देशवासियों को घबराने की जरूरत नहीं है. रविवार को मणिपुर के इंफाल में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत एक “जीवंत अंतरिक्ष शक्ति” बन रहा है और 2040 तक अपना पहला अंतरिक्ष स्टेशन होगा. इसरो प्रमुख ने दौरान कहा कि आज 34 देशों के 433 उपग्रहों को भारत से उठाकर कक्षा में स्थापित किया गया है. इसरो अध्यक्ष नारायणन ने कहा कि हम उपग्रहों के जरिए अपने देश की सुरक्षा करेंगे. कोई भी देश हमारे करीब फटक भी नहीं सकता. हमें अपने सात हजार किलोमीटर लंबे समुद्र तट की निगरानी करनी होगी. इसरो अध्यक्ष ने कहा कि देशवासियों की सुरक्षा के लिए 10 उपग्रह लगातार 24 घंटे काम कर रहे हैं. उन्होंने यह टिप्पणी तब की, जब भारत और पाक के बीच तनाव व सैन्य संघर्ष के हालात हैं. मालूम हो कि पिछले महीने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई की सुबह ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे को ध्वस्त कर दिया था और 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया.
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उपग्रह से होगा जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण का अध्ययन
उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जी-20 देशों के लिए जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण का अध्ययन करने तथा मौसम की निगरानी के लिए एक उपग्रह विकसित कर रहा है. हमारे पास 1975 में पहला उपग्रह था. तब से लेकर आज तक हमने विभिन्न प्रकार और क्षमताओं के 131 उपग्रहों की कल्पना की और उनका निर्माण किया है. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका संयुक्त रूप से एक महंगा और उन्नत पृथ्वी-इमेजिंग उपग्रह बनाएंगे, जिसे देश से प्रक्षेपित किया जाएगा.
2047 तक विकसित भारत के सपने में छात्रों की भूमिका महत्वपूर्ण
इसरो प्रमुख ने कहा कि आजादी के बाद से देश ने काफी प्रगति की है. हर क्षेत्र में विकास हुआ है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में 1947 में साक्षरता दर सिर्फ 12 प्रतिशत थी. नारायणन ने याद किया कि 1969 एक ऐतिहासिक वर्ष था क्योंकि उस वर्ष भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का गठन किया गया था, जब हमने अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू किया था तब हम उन्नत देशों से 70 साल पीछे थे. हमारे पास कोई उपग्रह प्रौद्योगिकी नहीं थी. उन्होंने छात्रों से कहा कि आज आपने जो डिग्रियां प्राप्त की हैं, वे अत्यधिक राष्ट्रीय महत्व की हैं. आप 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
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