UP Politics : उत्तर प्रदेश में कई ऐसे जातीय मामले हैं जिसकी वजह से राजनीति गरमा गई है. इस मामले में समाजवादी पार्टी और ASP मैदान में उतर आई है. हालांकि, यूपी के मुख्यमंत्री ने इसको सुनियोजित तरीके से माहौल बिगाड़ने वाली घटना बताया है.
UP Politics : उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा से ही राजनीति का मुद्दा हावी रहा है, लेकिन इस बार यह अलग ही रूप में सामने आया है. प्रदेश में सिलसिलेवार ढंग से विभिन्न जिलों में जातीय केस सामने आए हैं और अब इस मामले को लेकर सियासत गरमा गई है. यूपी की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (SP) और आजाद समाज पार्टी (ASP) खुलकर मैदान में आ गई है. इसी बीच इटावा, कन्नौज और औरैया में जातीय उन्माद बढ़ाने वाले मामलों में ठोस कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को सख्त चेतावनी दे दी है. बता दें कि मेवाड़ शासक राणा सांगा पर SP सांसद रामजी लाल सुमन की विवादित टिप्पणी और इटावा में हुए कथावाचक कांड के बाद मामला गरमा गया है.
यूपी में बना था दलित बनाम क्षत्रिय
राणा सांगा विवाद वाले मामले में करणी सेना के आने के बाद राज्य में दलित बनाम क्षत्रिय बनाने की कोशिश की गई. आगरा और अलीगढ़ समेत कई जिलों में सपा सांसद रामजी लाल सुमन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई. इस दौरान सांसद के आवास पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ भी की और यह मामला शांत हुआ था कि इटावा कांड हो गया. इटावा में कथावाचक मुकुट मणि यादव के साथ दुर्व्यवहार की घटना को लेकर इटावा के आसपास के इलाके में यादव बनाम ब्राह्मण का मामला बनाने की कोशिश शुरू हो गई. लोगों ने सवाल उठाए कि क्या कथावाचन केवल ब्राह्मण ही कर सकता है? इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी को अपने लखनऊ आवास पर बुलाकर सम्मानित किया.
धीरेंद्र शास्त्री पर अखिलेश टिप्पणी ने पकड़ा तूल
वहीं, कथावाचक वाले मामले के विरोध में इटावा के कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन हुए, जिसमें ज्यादा समाजवाद पार्टी के कार्यकर्ता शामिल थे. साथ ही यह मामला शांत नहीं हुआ कि अखिलेश यादव ने धीरेंद्र शास्त्री पर टिप्पणी देकर मामले को नया मोड़ दे दिया है. अखिलेश ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री कथा करने के लिए इतना पैसा लेते हैं कि हर कोई उनकी कथा नहीं करा सकता है और अब उनकी इस टिप्पणी पर साधु संत नाराज हो गए हैं. दूसरी तरफ जातीय उन्माद बढ़ाने का एक और ताजा मामला प्रयागराज से आया है. एक दलित के साथ हुई घटना को लेकर कौशाम्बी जा रहे आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर को नजरबंद किए जाने पर भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने प्रयागराज में जमकर उत्पात मचाया. बताया जा रहा है कि इस दौरान कार्यकर्ताओं ने पुलिस गाड़ियों पर जमकर हमला किया, लेकिन ASP के संयोजक चंद्रशेखर का कहना है कि वह उनके लोग नहीं थे जिन्होंने उपद्रव मचाया है.
जातीय संघर्ष को बढ़ावा देना एक सुनियोजित साजिश
चंद्रशेखर को नजरबंद किए जाने पर भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने रास्ता खुलवाने के लिए पुलिस से काफी नोकझोंक की. इस बवाल में तोड़फोड़ और आगजनी के मामले में 54 नामजद और 550 अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. यह सारी कार्रवाई करछना थाना प्रभारी की ओर से की गई है. BNS की डेढ़ दर्जन से ज्यादा धाराओं में FIR दर्ज की गई है और मामले में 60 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. इससे पहले कन्नौज के तिर्वा कस्बे में बाल्मीकि समाज के कुछ युवकों पर जातिगत टिप्पणियां किए जाने पर विवाद हुआ था, जिसे आजाद समाज पार्टी ने मुद्दा बनाने की कोशिश की थी. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी हाल ही में कानून-व्यवस्था की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि प्रदेश में हो रही जातिगत संघर्ष की घटनाएं सुनियोजित हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एक राजनीतिक साजिश है, जो लोग भी इस तरह की साजिश को बढ़ावा दे रहे हैं, उनका पर्दाफाश करें, उनकी सार्वजनिक पहचान ‘जातीय हिंसक व्यक्ति’ के तौर पर कराई जाए.
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