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शुक्रवार के दिन धनपति कुबेर को करना चाहते हैं प्रसन्न तो अवश्य पढ़ें यह पाठ, जीवनभर बने रहेंगे धनवान!

by Pooja Attri
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शुक्रवार के दिन धनपति कुबेर को करना चाहते हैं प्रसन्न तो अवश्य पढ़ें यह पाठ, जीवनभर बने रहेंगे धनवान!

Friday Astro Tips For Money: अगर आप अपने घर में धन-संपत्ति को हमेशा बनाए रखना चाहते हैं तो धन के देवता कुबेर का पूजन अवश्य करना चाहिए. कुबेर देव भगवान शिव के आशीर्वाद से धनपति बने थे.

29 November, 2024

Friday Astro Tips For Money: शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है. मां लक्ष्मी का स्वभाव चंचल है इसलिए वह कभी भी एक जगह पर विराजमान नहीं रहती हैं. यही वजह है कि मां लक्ष्मी के साथ हमेशा भगवान गणेश की स्थापना की जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान गणेश को मां लक्ष्मी ने यह आशीर्वाद दिया था कि, जहां पर वह रहेंगी, वहां पर वह भी वास करेंगी. अगर आप अपने घर में धन-संपत्ति को हमेशा बनाए रखना चाहते हैं तो धन के देवता कुबेर का पूजन अवश्य करना चाहिए. कुबेर देव भगवान शिव के आशीर्वाद से ही धनपति बने थे.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अल्पना मिश्रा (Dr.Alpana Mishra, Astrologer Plam Redar & Vastu Visheshgya) का कहना है कि अगर आप रोजाना या शुक्रवार के दिन श्री कुबेर चालीसा का पाठ करें तो इससे धन के देवता कुबेर को प्रसन्न किया जा सकता है. धनपति कुबेर 9 निधियों के स्वामी माने जाते हैं. कुबेर देव की पूजा हर माह की तृतीया तिथि को जरूर करनी चाहिए. इसके साथ ही कुबेर पूजन में 13 दीप जलाना शुभ माना जाता है. इसके साथ पूजन के दौरान कुबरे देव को इत्र, सुपारी, लौंग, इलायची, कमलगट्टा और धनिया आदि चढ़ाएं. इसके बाद उन्हें चावल से बनी खीर, धनिया पंजीरा और लपसी का भोग लगाना चाहिए. आइए यहां पढ़ते हैं पूरी श्री कुबेर चालीसा.

श्री कुबेर चालीसा

दोहा
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण,सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर॥

चौपाई
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी। धन माया के तुम अधिकारी॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी। पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी। सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी। सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥

महा योद्धा बन शस्त्र धारैं। युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥
सदा विजयी कभी ना हारैं। भगत जनों के संकट टारैं॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता। पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता। विभीषण भगत आपके भ्राता॥

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया। घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया। अमृत पान करी अमर हुई काया॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में। देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में। बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥

स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं। त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं। गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं। ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं। यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥

ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं। देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं। यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं। पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं। वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥

कांधे धनुष हाथ में भाला। गले फूलों की पहनी माला॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला। दूर दूर तक होए उजाला॥
कुबेर देव को जो मन में धारे। सदा विजय हो कभी न हारे।।
बिगड़े काम बन जाएं सारे। अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥

कुबेर गरीब को आप उभारैं। कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥
कुबेर भगत के संकट टारैं। कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे। क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं। दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं। अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं। कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ा दें। कुबेर गिरे को पुन: उठा दें॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दें। कुबेर भूले को राह बता दें॥

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दें। भूखे की भूख कुबेर मिटा दें॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दें। दुखिया का दुख कुबेर छुटा दें॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दें। कारोबार को कुबेर बढ़ा दें॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दें। चोर ठगों से कुबेर बचा दें॥

कोर्ट केस में कुबेर जितावैं। जो कुबेर को मन में ध्यावैं॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं। मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥
पाठ करे जो नित मन लाई। उसकी कला हो सदा सवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई। उसका जीवन चले सुखदाई॥

जो कुबेर का पाठ करावैं। उसका बेड़ा पार लगावैं॥
उजड़े घर को पुन: बसावैं। शत्रु को भी मित्र बनावैं॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई। सब सुख भोद पदार्थ पाई।।
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई। मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥

दोहा
शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर।।

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