Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज सावन में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है. इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, 16 श्रृंगार करती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं. 2025 में कब मनाई जाएगी हरियाली तीज जानें यहां.
Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज सावन महीने में आने वाला एक प्रमुख और पवित्र त्योहार है, जो विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए महत्वपूर्ण होता है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है. इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा कर सुखी दांपत्य जीवन और मनचाहे वर की कामना करती हैं. 2025 में हरियाली तीज कब मनाई जाएगी, इसका शुभ मुहूर्त क्या होगा, पूजा कैसे की जाती है और इसके पीछे क्या पौराणिक कथा है, आइए विस्तार से जानते हैं.
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज सावन महीने का एक प्रमुख और पावन व्रत है. यह दिन खासतौर पर सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. वहीं, कुंवारी कन्याएं अच्छे और मनचाहे वर की कामना से यह व्रत करती हैं. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है.
हरियाली तीज 2025 की तिथि
सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है. वर्ष 2025 में यह तिथि 26 जुलाई की रात 10 बजकर 41 मिनट पर आरंभ होगी और 27 जुलाई की रात 10 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार यह पर्व 27 जुलाई 2025, रविवार को मनाया जाएगा.
हरियाली तीज का पूजन मुहूर्त
27 जुलाई को सुबह से लेकर रात तक किसी भी शुभ समय में हरियाली तीज की पूजा की जा सकती है. महिलाएं दिनभर व्रत रखती हैं और संध्या काल में विधिपूर्वक पूजा करती हैं. तृतीया तिथि 26 जुलाई की रात से शुरू होकर अगले दिन रात तक चलेगी, इसलिए 27 जुलाई का पूरा दिन पूजन के लिए उपयुक्त रहेगा.
पूजा विधि और व्रत की प्रक्रिया
व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन किया जाता है और हाथों में मेहंदी लगाई जाती है. तीज के दिन महिलाएं प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं. खासकर हरे रंग के वस्त्र पहनने की परंपरा है, क्योंकि यह हरियाली और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. काले, स्लेटी या बैंगनी रंग के वस्त्र पहनने से परहेज किया जाता है. महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार करती हैं और व्रत का संकल्प लेकर पूजा प्रारंभ करती हैं. पूजा के लिए शिव-पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं, जिन पर लाल कपड़ा बिछाकर फल-फूल, धूप, दीप, सिंदूर और सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है. संध्या के समय हरियाली तीज की कथा सुनी जाती है और अंत में आरती कर व्रत का पालन किया जाता है. उपवास का समापन अगले दिन किया जाता है.

हरियाली तीज से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक घोर तप किया था. उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था, लेकिन माता पार्वती शिव को ही पति रूप में स्वीकार कर चुकी थीं. उनकी सहेलियों ने उन्हें विवाह से बचाने के लिए जंगल में छिपने की सलाह दी. वहां रहकर पार्वती ने कठोर तप किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया. यह दिन सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का ही था, इसलिए इसी दिन हरियाली तीज मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर विवाहित महिलाओं का दांपत्य जीवन सुखमय होता है और अविवाहित कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है.
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