Home Religious बिना देखें बिना भूले 2000 वैदिक मंत्रों का 50 दिन तक जाप, 19 साल के देवव्रत की उपलब्धि पर PM ने की तारीफ

बिना देखें बिना भूले 2000 वैदिक मंत्रों का 50 दिन तक जाप, 19 साल के देवव्रत की उपलब्धि पर PM ने की तारीफ

by Live Times
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Devvrat Mahesh Rekhe

Devvrat Mahesh Rekhe: 19 साल के देवव्रत महेश रेखे ने 50 दिनों में यजुर्वेद के 2000 वेदमंत्रों का लगातार जाप किया है. पीएम मोदी और सीएम योगी ने भी उनकी तारीफ की.

3 December, 2025

Devvrat Mahesh Rekhe: 19 साल के वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे की नाम हर तरफ गूंज रहा है. देवव्रत रेखे ने असंभव को संभव कर दिखाया है. काशी के इतिहास में पहली बार इतनी छोटी उम्र में किसी ने यजुर्वेद के समस्त मंत्रों को कंठस्थ याद किया है. देवव्रत ने 50 दिनों में यजुर्वेद के 2000 वेदमंत्रों का लगातार जाप किया है. उन्होंने यह उपलब्धि शास्त्रीय शैली में बिना मंत्र देखे, बिना भूले और बिना रुके हासिल की. उनकी इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी ने भी उनकी तारीफ की.

पीएम मोदी ने की तारीफ

पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा,19 वर्ष के देवव्रत महेश रेखे जी ने जो उपलब्धि हासिल की है, वो जानकर मन प्रफुल्लित हो गया है. उनकी ये सफलता हमारी आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनने वाली है. काशी से सांसद के रूप में, मुझे इस बात का गर्व है कि उनकी यह अद्भुत साधना इसी पवित्र धरती पर संपन्न हुई. उनके परिवार, संतों, मुनियों, विद्वानों और देशभर की उन सभी संस्थाओं को मेरा प्रणाम, जिन्होंने इस तपस्या में उन्हें सहयोग दिया.

विश्व में दूसरी बार किसी ने हासिल की ये उपलब्धि

भारत की सनातन गुरु परंपरा में इसे “दंडक्रम पारायण” कहा जाता है और इसे पूरा करने वालों को वेदमूर्ति की सम्मानजनक उपाधि मिलती है. दुनिया में दूसरी बार 200 साल बाद काशी में दंडक्रम पारायण किया गया. दो सौ साल पहले वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने नासिक में दंडक्रम पारायण किया था. देवव्रत ने 2 अक्टूबर को वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय में पारायण शुरू किया और यह 30 नवंबर को खत्म हुआ. सीएम योगी ने भी देवव्रत को सम्मानित किया है.

रोजाना चार घंटे किया अभ्यास

देवव्रत महेश रेखे महाराष्ट्र के अहिल्या नगर के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम वेदब्रह्मश्री महेश चंद्रकांत रेखे है. देवव्रत वाराणसी के सांगवेद विद्यालय के विद्यार्थी हैं. देवव्रत ने 2,000 मंत्र और वैदिक श्लोकों का सही उच्चारण किया. बताया गया कि उन्होंने दंडक्रम पारायण पूरा करने के लिए रोजाना चार घंटे अभ्यास किया. इस उपलब्धि के लिए देवव्रत को ₹5 लाख के कंगन और ₹1,11,116 की दक्षिणा दी गई है. यह सम्मान दक्षिणमय श्री श्रृंगेरी शारदा पीठम के जगद्गुरु शंकराचार्यों के आशीर्वाद से दिया गया.

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