Home Religious आस्थाः भगवान जगन्नाथ के स्नान अनुष्ठान में शामिल होकर लाखों श्रद्धालु बने पुण्य के भागी

आस्थाः भगवान जगन्नाथ के स्नान अनुष्ठान में शामिल होकर लाखों श्रद्धालु बने पुण्य के भागी

by Sanjay Kumar Srivastava
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Lord Jagannath

इस अवसर पर तीन देवताओं – भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को पहंडी (जुलूस) के साथ स्नान मंडप (स्नान वेदी) पर लाया गया.

Puri: पुरी में बुधवार को 12वीं सदी के मंदिर परिसर में खुले पंडाल में आयोजित भगवान जगन्नाथ के स्नान अनुष्ठान में लाखों श्रद्धालु शामिल होकर पुण्य के भागी बनें. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि इस अवसर पर तीन देवताओं – भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को पहंडी (जुलूस) के साथ स्नान मंडप (स्नान वेदी) पर लाया गया. इसके बाद देवताओं को स्नान मंडप (स्नान वेदी) पर स्नान कराया गया, जो ग्रैंड रोड के सामने ऊंचा आसन है.

पहंडी अनुष्ठान सुबह 8.55 बजे पूरा

श्री सुदर्शन जी को सबसे पहले मंदिर से बाहर लाया गया और सुबह 5.45 बजे स्नान वेदी पर ले जाया गया. इसके बाद भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों को स्नान वेदी पर ले जाया गया. पहंडी अनुष्ठान सुबह 8.55 बजे पूरा हो गया. यह त्योहार देव स्नान पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है और ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. यह साल में पहला अवसर होता है जब लकड़ी की मूर्तियों को जुलूस के रूप में गर्भगृह से बाहर लाया जाता है और स्नान अनुष्ठान के लिए स्नान मंडप में रखा जाता है. इसे भगवान जगन्नाथ का जन्मदिन भी माना जाता है.

**EDS: THIRD PARTY** In this image released by @MohanMOdisha/X on Wednesday, June 9, 2025, Odisha Chief Minister Mohan Charan Majhi attends the ceremonial bathing of Chaturdhamurti– Lord Jagannath, Balabhadra, Subhadra and Sudarshan– on the Snana Mandap in Puri, Odisha. (@MohanMOdisha via PTI Photo) (PTI06_11_2025_000048B)

स्वर्ण कुएं के पवित्र जल से भगवान को नहलाया गया

मंदिर प्रशासन के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मंदिर परिसर में स्थित सुनकुआ (स्वर्ण कुआं) से कुल 108 घड़े पवित्र जल बुधवार दोपहर करीब 12.20 बजे मूर्तियों पर डाले गए. उन्होंने बताया कि पुरी के राजा गजपति महाराज दिव्यसिंह देब दोपहर करीब 3.30 बजे ‘स्नान मंडप’ की औपचारिक सफाई करेंगे. इसके बाद देवताओं को “गज वेश” (हाथी भगवान की पोशाक) पहनाई जाएगी. मंदिर के कैलेंडर के अनुसार शाम 7.30 बजे से ‘सहान मेला’ या सार्वजनिक दर्शन की अनुमति होगी. देवताओं को 12वीं शताब्दी के मंदिर में ले जाया जाएगा और स्नान के बाद बीमार होने पर उन्हें 14 दिनों तक अनासरा घर (अलगाव कक्ष) में रखा जाएगा. मंदिर के वैद्य (चिकित्सक) हर्बल औषधियों से उनका इलाज करेंगे.

26 जून तक दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु

27 जून को होने वाली वार्षिक रथ यात्रा से एक दिन पहले 26 जून तक दर्शन की अनुमति है. एसपी विनीत अग्रवाल ने बताया कि इस अवसर पर पुरी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और 70 प्लाटून (एक प्लाटून में 30 जवान होते हैं) बल और 450 अधिकारियों की तैनाती की गई है. एसपी ने कहा कि हमें इस दिन लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. हमने भीड़ प्रबंधन, यातायात नियमन और जमीनी नियंत्रण के लिए व्यापक व्यवस्था की है.

मंदिर के अंदर और बाहर सुरक्षा बल तैनात

मंदिर के अंदर और बाहर तथा समुद्र तट पर सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. एसपी ने कहा कि देवताओं के स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की सुचारु आवाजाही के प्रबंधन के लिए बैरिकेड्स लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि पहली बार पुलिस नए एकीकृत नियंत्रण कक्ष से जुड़े एआई-आधारित निगरानी कैमरों का उपयोग कर रही है. इस मौके पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित लाखों भक्त मौजूद थे.

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