Home Religious आखिर क्यों धारण किया था भगवान शंकर ने अर्धनारीश्वर स्वरूप? जानिए

आखिर क्यों धारण किया था भगवान शंकर ने अर्धनारीश्वर स्वरूप? जानिए

जानिए भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप का धार्मिक महत्व

by Pooja Attri
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ardhanarishvara

5 March 2024

हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी। मान्यतानुसार इस दिन भगवान शंकर और मां पार्वती विवाह के बंधन में बंधे थे। इस पावन पर्व का भक्त बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस दिन भगवान शंकर के कई रूपों के पूजन का विधान है। भोलेनाथ का अर्धनारीश्वर स्वरूप बहुत मनमोहक होता है। धार्मिक मान्यतानुसार, भगवान शंकर द्वारा अर्धनारीश्वर स्वरूप ब्रह्मा जी के समक्ष धारण किया गया था। भक्तजन भोले के अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा शिव और शक्ति को प्रसन्न करने के लिए करते हैं। जानते हैं आखिर क्यों भोलेनाथ ने धारण किया था अर्धनारीश्वर स्वरूप…

अर्धनारीश्वर स्वरूप का अर्थ

अर्धनारीश्वर स्वरूप का मतलब है आधा शरीर पुरुष और आधा शरीर स्त्री का। पुरुष और स्त्री की समानता को दर्शाता है भगवान शंकर का अर्धनारीश्वर स्वरूप। जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों का वास होता है। अर्धनारीश्वर स्वरूप इस बात की ओर इशारा करता है कि पुरुष और स्त्री दोनों ही एक ही सिक्के के 2 पहलु हैं। दोनों ही एक दूसरे के अस्तित्व के बिना अधूरे हैं।

रूप धारण करने की वजह

पौराणिक कथानुसार, ब्रह्मा जी को सृष्टि के निर्माण का कार्य सौंपा गया तो, उन्हें इस बात का आभास हुआ कि मृत्यु के बाद ये सारी रचनाएं समाप्त हो जाएंगी। फिर नए सिरे से हर बार इनकी रचना करनी होगी। इस प्रकार ब्रह्मा जी के समक्ष बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई। फिर उन्होंने इस पर काफी सोच-विचार किया और वो भोलेनाथ के पास गए। फिर ब्रह्मा जी के बहुत प्रार्थना करने के बाद महादेव ने स्त्री और पुरुष की उत्पति के लिए अर्धनारीश्वर रूप धारण किया। इसके पश्चात भोलेनाथ ने ब्रह्मा जी को अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन दिए। ऐसे में महादेव का आधा शरीर स्त्री स्वरूप शक्ति और दूसरे हिस्से महादेव शिव नजर आए। अपने इस अर्धनारीश्वर रूप के दर्शन के पश्चात ही महादेव ने ब्रह्मा जी को प्रजननशिल प्राणी को बनाने की प्रेरणा दी।

धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यतानुसार, जो साधक भोलेनाथ के अर्धनारीश्वर स्वरूप का विधि-विधान से पूजन करता है तो, उसको मां पार्वती और भगवान शंकर दोनों की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। इससे साधक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

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