Operation Bluestar Anniversary : ऑपरेशन ब्लूस्टार की 41वीं वर्षगांठ पर स्वर्ण मंदिर और शहर अंदरूनी हिस्से में शांतिपूर्ण बंद रखा गया है. लेकिन इस दौरान कट्टरपंथी सिख संगठनों ने खालिस्तान समर्थन में नारे लगाए.
Operation Bluestar Anniversary : ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Bluestar) के 41 साल पूरे हो गए हैं. इसी बीच सिखों के सर्वोच्च धार्मिक स्थल अकाल तख्त (Akal Takht) पर शुक्रवार को कट्टरपंथी सिख संगठनों के समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने खालिस्तान समर्थन में नारे लगाएं. इसके अलावा ऑपरेशन ब्लूस्टार की 41वीं वर्षगांठ पर स्वर्ण मंदिर और शहर अंदरूनी हिस्से में शांतिपूर्ण बंद रखा गया है. इस दौरान आतंकवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwale) की तस्वीरें और झंडे वाली तख्तियों लेकर कट्टरपंथी संगठनों के समर्थकों ने नारे लगाए. बता दें कि अकाल तख्त के पास स्वर्ण मंदिर का पूरा घेरवा कर खालिस्तानी समर्थक ने जमकर नारेबाजी की.
पवित्र स्थल पर क्यों हमला किया गया?
ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार जसबीर सिंह रोडे ने कहा कि आज तक केंद्र सरकार नहीं बता सकी है कि सिखों के सबसे पवित्र स्थल हमला क्यों किया गया? उन्होंने आगे कहा कि सिख उस वक्त अपने अधिकारों को लेकर सरकार से मांग कर रहे थे और उन्होंने उस वक्त केंद्र के खिलाफ हमले की घोषणा नहीं की थी. फिर बिना किसी नोटिस और चेतावनी के हम हमला कर दिया गया. साथ ही यह हमला ऐसा था कि जैसे एक देश दूसरे पर हमला करता है. आज देश भर आए लोगों ने उस घटना में मारे लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की. वहीं, खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए. बता दें कि ऑपरेशन ब्लूस्टार 1984 में स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए किया गया एक सैन्य अभियान था.
बंदी सिखों रिहा करने की उठी आवाज
वहीं, अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज ने अरदास (सिख रीति-रिवाजों के अनुसार प्रार्थना) पढ़ते हुए कहा कि सभी सिख संगठन को एकजुट होकर ‘बंदी सिंहों’ की रिहाई के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जाना चाहिए. बंदी सिख वो कैदी है जिनके बारे में शिरोमणि अकाली दल और अन्य सिख संगठन दावा करते हुए आएं हैं कि ये वे लोग जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है और उसके बाद भी उन्हें जेल में रखा गया है. इसके अलावा सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने जून 1984 में सेना की कार्रवाई के दौरान स्वर्ण मंदिर में भिंडरावाले के साथ मारे गए सिख नेताओं के परिवार के सदस्यों को सम्मानित किया.
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