RSS 100 Year : आरएसएस की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि समस्याओं के समाधान के लिए दुनिया वैश्विक मॉडल की जगह भारतीय दर्शन की तरफ देख रही है.
RSS 100 Year : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) 100वीं वर्षगांठ मना रहा है और इस अवसर पर नागपुर में एक भव्य कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. इसी बीच संघ प्रमुख ने गुरुवार को कहा कि दुनिया भारतीय दर्शन में निहित समाधानों की उत्सुकता से तलाश कर रही है, जबकि भारत के बुद्धिजीवी प्रचलित वैश्विक ढांचों का अनुसरण करने की जगह देश के विश्वदृष्टिकोण से विकसित विकास मॉडल तलाश रहे हैं. रेशमबाग में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक प्रगति और संचार एवं वैश्विक व्यापार की वजह से बेहतर अंतर्संबंध एक सकारात्मक तस्वीर पेश करते हैं. हालांकि, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति की गति और मनुष्य द्वारा इनके अनुकूल होने की गति में काफी अंतर है.
युद्धों ने पहुंचाया प्रकृति को नुकसान
मोहन भागवत ने कहा कि आम लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसी तरह हम अन्य समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं. जैसे कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में युद्ध और संघर्ष, पर्यावरणीय क्षति के कारण प्रकृति का प्रकोप, सामाजिक और पारिवारिक बंधनों का कमजोर होना, साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी में दुर्व्यवहार और शत्रुता. भागवत ने कहा कि इन सभी समस्याओं के समाधान के प्रयास किए गए हैं, लेकिन वे इनकी प्रगति को रोकने या कोई व्यापक समाधान प्रदान करने में विफल रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह सभी देश उन शत्रुतापूर्ण ताकतों से खतरा झेल रहे हैं, जो ये मानती हैं कि इन समस्याओं के समाधान के लिए संस्कृति, आस्था, परंपरा जैसे बंधनों का पूर्ण विनाश आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की ताकतें मानवता के लिए काफी परेशानी बढ़ाने का काम करेंगी.
भारतीय दर्शन की तरफ देख रही दुनिया
उन्होंने कहा कि भारत में भी हम इन सभी परिस्थितियों का विभिन्न रूपों में अनुभव कर रहे हैं. दुनिया भारतीय दर्शन पर आधारित समाधानों का इंतजार कर रही है. भागवत ने कहा कि भारत की बढ़ती राष्ट्रवादी भावना, खासकर युवा पीढ़ी में आत्मविश्वास जगाती है. उन्होंने कहा कि RSS स्वयंसेवकों के अलावा विभिन्न धार्मिक, सामाजिक संस्थाएं और व्यक्ति समाज की निस्वार्थ सेवाओं के लिए आगे बढ़कर काम कर रहे हैं. भागवत ने यह भी कहा कि समाज आत्मनिर्भरता, समस्याओं को सुलझाने और कमियों को दूर करने में काफी सुधार हुआ है. भागवत ने कहा कि बुद्धिजीवियों के बीच विकास और लोक प्रशासन के ऐसे मॉडलों की खोज पर विचार बढ़ रहा है जो प्रचलित वैश्विक मॉडल की बजाय हमारी संस्कृति की तरफ देख रहे हैं.
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