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नॉर्थ ईस्ट एजुकेशन कॉन्क्लेव 2025: राज्यपाल ने कहा- छात्रों को केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक न रखें सीमित

by Sanjay Kumar Srivastava
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Assam Governor Laxman Prasad Acharya

Education News: असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने शिक्षा को रचनात्मक और आलोचनात्मक सोच पर आधारित बनाने पर जोर दिया है, ताकि छात्र केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित न रहें.

Education News: असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने शिक्षा को रचनात्मक और आलोचनात्मक सोच पर आधारित बनाने पर जोर दिया है, ताकि छात्र केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित न रहें. उन्होंने शनिवार को प्रागज्योतिषपुर विश्वविद्यालय में नॉर्थ ईस्ट एजुकेशन कॉन्क्लेव 2025 के समापन सत्र में ये बातें कही. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को वर्तमान समय के लिए छात्रों को तैयार करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम बताया. इस सम्मेलन का आयोजन विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में किया गया था. सम्मेलन में एनईपी के तहत पूर्वोत्तर के लिए नई शैक्षिक रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए शिक्षाविद, नीति निर्माता और हितधारक एक साथ आए.

NEP 2020 विकसित भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

राज्यपाल आचार्य ने कहा कि एनईपी 2020 ‘विकसित भारत @ 2047’ के दृष्टिकोण की दिशा में एक आधारभूत कदम है, जो ज्ञान और बुद्धिमत्ता की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है. वैश्विक ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी भारत की प्राचीन विरासत पर विचार करते हुए राज्यपाल ने तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्रसिद्ध संस्थानों का उल्लेख किया, जहां शिक्षा केवल भौतिक गतिविधियों तक सीमित नहीं थी, बल्कि चरित्र निर्माण, समग्र विचारों को पोषित करने और वैश्विक कल्याण को आगे बढ़ाने का एक समग्र साधन थी. राज्यपाल ने जोर देकर कहा कि वर्तमान समय के छात्र अब केवल सैद्धांतिक शिक्षा नहीं चाहते हैं, बल्कि वे वास्तविक जीवन के अनुभवों और प्रौद्योगिकी सक्षम वातावरण के माध्यम से आलोचनात्मक, प्रयोगात्मक और रचनात्मक समझ हासिल करने की आकांक्षा रखते हैं.

नौकरी पाने वाला नहीं, उद्यमी बनें छात्र

उन्होंने 21वीं सदी की शिक्षा के आवश्यक घटकों के रूप में स्मार्ट कक्षाओं, डिजिटल पुस्तकालयों, खुले ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और अधिक सामुदायिक सहभागिता की वकालत की. एनईपी कार्यान्वयन में असम की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने कहा कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों ने पहले ही अनुभवात्मक और परियोजना आधारित शिक्षा के माध्यम से अपने पाठ्यक्रम को शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि सामाजिक विज्ञान और वाणिज्य जैसे विषयों में लगभग 20 प्रतिशत पाठ्यक्रम सामग्री को स्थानीय सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया गया है. जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा आवश्यकताओं, स्वास्थ्य संकट और सामाजिक सामंजस्य जैसी 21वीं सदी की चुनौतियों पर बोलते हुए आचार्य ने छात्रों को न केवल नौकरी चाहने वालों के रूप में बल्कि जिम्मेदार और उद्यमियों के रूप में तैयार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया.

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