Home Top News राजधानी में कल हो सकती है Cloud Seeding, प्रदूषण कम करने के लिए सरकार का कदम

राजधानी में कल हो सकती है Cloud Seeding, प्रदूषण कम करने के लिए सरकार का कदम

by Live Times
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Delhi Artificial Rain-Cloud Seeding

Delhi Artificial Rain-Cloud Seeding: देश की राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने कृत्रिम बारिश कराने का एलान किया है.

Delhi Artificial Rain-Cloud Seeding: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. इससे लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या बढ़ती जा रही है. इस गंभीर परेशानी से निपटने के लिए सरकार ने प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए कृत्रिम बारिश कराने का एलान किया है. क्लाउड सीडिंग के द्वारा बादलों की भौतिक अवस्था में बदलाव किया जाता है. इसका तीसरा परीक्षण आज ही दिल्ली के कुछ इलाकों में किया जाएगा.

क्लाउड सीडिंग नहीं है समाधान

यहां पर बता दें कि क्लाउड सीडिंग परमानेंट समाधान नहीं है. बल्कि यह एक टेंपरेरी समाधान हो सकता है क्योंकि अगर हम बार-बार क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल करेंगे तो प्रकृति पर भी इसका असर दिखाई देगा. इसका असर कृषि स्वास्थ्य और मिट्टी पर भी पड़ेगा. गौरतलब है कि क्लाउड सीडिंग में होने वाली वर्षा ठीक उसी तरह से काम करता है जैसे नेचुरल बारिश. लेकिन इसका बार-बार उपयोग करना खतरनाक भी हो सकता है.

कैसे काम करती है कृत्रिम बारिश ?

आर्टिफिशियल रेन क प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा बादलों की भौतिक अवस्था में कृत्रिम तरीके से बदलाव की कोशिश की जाती है. इससे वातावरण को बारिश के अनुकूल बनाया जाता है. यह प्रक्रिया 3 चरणो में को पूरी की जाती है. पहले चरण में केमिकल का यूज करके वांछित इलाके के ऊपर वायु के द्रव्यमान को ऊपर की तरफ भेजा जाता है, जिससे वे बादल बना सके. इस प्रक्रिया में कैल्शियम क्लोराइड, कैल्शियम कार्बाइड, कैल्शियम ऑक्साइड, नमक और यूरिया के यौगिक और यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट का यूज किया जाता है. वहीं, दूसरे चरण में बादलों के मास को नमक, यूरिया, अमोनियम नाइट्रेट, सूखी बर्फ और कैल्शियम क्लोराइड का प्रयोग करके उसे बढ़ाया जाता है.

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तीसरा चरण होता है बेहद खास

तीसरे और आखिरी चरण की प्रक्रिया तब की जाती है, जब या तो बादल पहले से बने हुए हों या मनुष्य द्वारा बनाए गए हों. इस चरण में सिल्वर आयोडाइड और सूखी बर्फ जैसे ठंडा करने वाले रसायनों को बादल में छिड़का जाता है. इससे बादलों का घनत्व बढ़ जाता है और सम्पूर्ण बादल बर्फीले रूप में आ जाते हैं और वे इतने भारी हो जाते हैं कि बहुत लंबे समय तक आसमान में लटके नहीं रह सकते हैं तो बारिश के रूप में धरती पर आ जाते हैं.

क्या होता है कृत्रिम बारिश का उद्देश्य

कृत्रिम बारिश कराने का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना या फसल की अच्छी पैदावार कराना होता था. कई बार फसलों को पानी की जरूरत होती है लेकिन बारिश नहीं होती. ऐसे में बारिश की समस्या से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा का आइडिया आया.

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