Mokshda Ekadashi: एकादशी व्रत के दिन कुछ बातों को खास ध्यान रखना चाहिए. इस लेख में आपको मोक्षदा एकदशी से जुड़ी सभी जरूरी बातों की जानकारी दी जाएगी.
27 November, 2025
Mokshda Ekadashi: साल में पड़ने वाली पांच एकादशी में से एक मोक्षदा एकादशी अब आने वाली है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष को मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी. एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं. एकादशी का व्रत करके आप भगवान विष्णु की कृपा पा सकते हैं. एकादशी व्रत के दिन कुछ बातों को खास ध्यान रखना चाहिए. इस लेख में आपको मोक्षदा एकदशी से जुड़ी सभी जरूरी बातों की जानकारी दी जाएगी.
मोक्ष देती है मोक्षदा एकादशी
माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष मिलता है. एकादशी के दिन व्रत रखने से और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है. इस दिन व्रत रखने से पितृों को भी मोक्ष मिलता है. इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है, क्योंकि भगवान कृष्ण ने इस दिन अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. हालांकि इस व्रत को करने वाले लोगों को कुछ जरूरी नियमों को ध्यान रखना चाहिए. इस दिन तुलसी से जुड़े कुछ नियमों का पालन न करने पर आपका व्रत निष्फल हो जाता है.

कब है मोक्षदा एकादशी
मोक्षदा एकादशी नवंबर या दिसंबर किसी भी महिने में पड़ सकती है. मुहूर्त के हिसाब से एकादशी कई बार दो दिनों के बीच में पड़ जाती है, ऐसे में लोगों असमंजस में है कि एकदाशी इस साल किस दिन पड़ रही है. पंचाग के अनुसार, एकादशी का व्रत सोमवार को 1 दिसंबर को पड़ रही है. बता दें, एकादशी तिथि की शुरुआत 30 नवंबर को रात 9:29 पर होगी और 1 दिसंबर को शाम 7:01 मिनट को खत्म हो जाएगी. अगले दिन यानी 2 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा. पारण के लिए सुबह 6:51 से 9:04 तक का समय रहेगा.
इन बातों का रखें ध्यान
- एकादशी का व्रत निर्जला रखा जाता है. इस दिन माता तुलसी भी निर्जला रहती हैं, इसलिए भूलकर भी एकादशी के दिन तुलसी में जल न चढ़ाएं. जल चढ़ाने से माता तुलसी का व्रत खंडित हो जाता है.
- एकादशी के दिन तुलसी के आस-पास सफाई का ध्यान रखें. तुलसी के आस-पास चप्पल, झाड़ू या कूड़ा-कचरा न रखें.
- एकादशी के दिन तुलसी का छूना भी वर्जित माना जात है. लेकिन आप शाम के समय में तुलसी के पास घी का दीपक जरूर जलाएं.
- इस दिन तुलसी की परिक्रमा करें. आप सात या ग्यारह बार तुलसी की परिक्रमा करें और तुलसी के मंत्रों का जाप करें.
- एकादशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते ज़रूर चढ़ाएं. लेकिन पत्ते तोड़े नहीं, आप गिरे हुए पत्ते चढ़ा सकते हैं या एक दिन पहले पत्ते तोड़कर रख लें.
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