Indore: ‘इंदौर की हेलेन केलर’ के नाम से मशहूर गुरदीप कौर वासु न बोल सकती हैं, न सुन सकती हैं और न ही देख सकती हैं, लेकिन ये शारीरिक अक्षमताएं भी उनके साहस और हिम्मत को कम नहीं कर सकीं और न ही उन्हें सरकारी सेवा में शामिल होने के सपने से रोक सकीं. सामाजिक, शैक्षणिक और सरकारी गलियारों में लंबे संघर्ष के बाद 34 वर्षीय इस महिला का सपना आखिरकार साकार हो गया है क्योंकि उन्हें मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग में नियुक्ति मिल गई है. दावा है कि यह देश में पहली बार है जब कोई मूक, श्रवण और दृष्टिबाधित महिला सरकारी सेवा में शामिल हुई है.
अंगुलियों को दबाकर करती हैं संवाद
गुरदीप के परिवार को उनके जुझारूपन पर गर्व है और उनका विभाग उन्हें एक समर्पित कर्मचारी के रूप में सराहता है. वह हाथों और अंगुलियों को दबाकर ‘स्पर्श संकेत भाषा’ के जरिए लोगों से संवाद करती हैं. सरकारी अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि 12वीं तक पढ़ी गुरदीप को बहुविकलांगता श्रेणी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर इंदौर में वाणिज्यिक कर विभाग के कार्यालय में पदस्थ किया गया है. वाणिज्यिक कर विभाग की अतिरिक्त आयुक्त सपना पंकज सोलंकी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष भर्ती अभियान के तहत उसकी योग्यता के आधार पर उनका चयन किया गया है. अधिकारी ने बताया कि गुरदीप पूरी लगन से काम सीख रही है. वह समय पर कार्यालय आती हैं.
पूरे दिव्यांग समुदाय के लिए प्रेरणादायक क्षण
सरकारी सेवा में शामिल होने का उसका सफर आसान नहीं था. इस मौके पर गुरदीप की मां मंजीत कौर वासु भावुक हो गईं. उन्होंने अपनी बेटी की उपलब्धि पर कहा कि गुरदीप हमारे परिवार की पहली सदस्य है जो सरकारी सेवा में शामिल हुई है. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह कभी इस पद पर पहुंचेगी. आजकल लोग मुझे मेरे नाम से ज्यादा गुरदीप की मां के तौर पर पहचानते हैं. दिव्यांगों में खुशी का माहौल है. सामाजिक न्याय कार्यकर्ता ज्ञानेंद्र पुरोहित ने दावा किया कि यह देश में पहली बार है कि एक महिला जो देख, बोल और सुन नहीं सकती, सरकारी सेवा में शामिल हुई है. यह पूरे दिव्यांग समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक क्षण है.
दिव्यांगों को बस एक मौके की जरूरत
उन्होंने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम-2016 के तहत अन्य दिव्यांग अभ्यर्थियों की तरह वाणी, श्रवण और दृष्टिबाधित लोगों को भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान है, लेकिन इसे लागू करने के लिए सरकारी मशीनरी को राजी करना बहुत मुश्किल है. कार्यकर्ता ने कहा कि गुरदीप जैसे लोग, जो विभिन्न प्रकार की दिव्यांगताओं को चुनौती दे रहे हैं, सब कुछ कर सकते हैं. उन्हें बस एक मौका दिए जाने की जरूरत है. सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ और गुरदीप की शिक्षिका मोनिका पुरोहित ने कहा कि गुरदीप अपने सामने वाले व्यक्ति के हाथों और उंगलियों को दबाकर उससे संवाद करती है, जिसे ‘स्पर्श सांकेतिक भाषा’ कहा जाता है. सरकारी नौकरी मिलने पर खुशी से झूमते हुए गुरदीप ने अपने हाथ फैलाए और सांकेतिक भाषा में कहा कि मैं बहुत-बहुत खुश हूं.
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