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CBI चीफ की नियुक्ति में CJI को किया जाना चाहिए शामिल? जानें लीगल एक्सपर्ट्स ने क्या कहा

by Divyansh Sharma
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CBI Director Appointment: CBI के डायरेक्टर जैसे कार्यकारी नियुक्तियों की नियुक्ति में भारत के CJI को शामिल किए जाने पर लीगल एक्सपर्ट्स ने राय दी.

CBI Director Appointment: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक दिन पहले CBI यानि केंद्रीय जांच ब्यूरो के डायरेक्टर जैसी कार्यकारी नियुक्तियों की नियुक्ति में भारत के CJI यानि चीफ जस्टिस को शामिल किए जाने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस आखिर CBI के डायरेक्टर जैसे शीर्ष पदों पर नियुक्तियों की प्रक्रिया में कैसे शामिल हो सकते हैं? इस पर देश में बहस छिड़ गया है. अब हम आपको बताते हैं कि इस मामले पर देश के लीगल एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं.

उपराष्ट्रपति ने की पुनर्विचार करने की मांग

बता दें कि भोपाल स्थित राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यह भी कहा था कि CBI के डायरेक्टर जैसे कार्यकारी नियुक्तियों पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है. इस मामले पर लीगल एक्सपर्ट्स ने अलग-अलग राय दी है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक कुछ लीगल एक्सपर्ट का मानना है कि CJI की भागीदारी से प्रक्रिया में निष्पक्षता आती है. वहीं, कुछ एक्सपर्ट ने कहा कि CJI को ऐसी चयन समितियों में नहीं करना चाहिए.

संविधान विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने शनिवार को कहा कि मुख्य न्यायाधीश को CBI के डायरेक्टर और अन्य कार्यकारी नियुक्तियों से संबंधित चयन समिति का हिस्सा नहीं होना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि न्यायपालिका को कार्यपालिका और विधायिका से अलग करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से न्यायिक समीक्षा शक्तियों का प्रयोग करने के मद्देनजर, मुख्य न्यायाधीश को CBI निदेशक और अन्य कार्यकारी नियुक्तियों से संबंधित चयन समिति का हिस्सा नहीं होना चाहिए.

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CEC की नियुक्ति का मामला कोर्ट में है पेंडिंग

राकेश द्विवेदी ने आगे कहा कि अगर यह न्यायिक नियुक्तियां होती हैं तो, वह इसका हिस्सा हो सकते हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता शोएब आलम ने कहा कि ऐसी नियुक्तियां केवल मुख्य न्यायाधीश की भागीदारी से ही सही हो सकती हैं. उन्होंने आगे कहा कि मुख्य न्यायाधीश की भागीदारी से प्रमुख पदों के चयन में निष्पक्षता आती है. उन्होंने दावा किया कि लोकतंत्र में ऐसी नियुक्तियां केवल मुख्य न्यायाधीश की भागीदारी से ही निष्पक्षता आती है.

शोएब आलम ने जोर देकर कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया की विश्वसनीयता बढ़ाना और उचित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करना कार्यपालिका शक्ति पर अतिक्रमण नहीं कहा जा सकता. वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि CEC यानि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. ऐसे में इस तरह के बयान से बचना चाहिए.

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