Home राष्ट्रीय चुनाव से पहले क्यों ‘ट्रेंड’ कर रहा है CAA?

चुनाव से पहले क्यों ‘ट्रेंड’ कर रहा है CAA?

डिटेल्ड रिपोर्ट- CAA को कब तक लागू करेगी केन्द्र सरकार

by Preeti Pal
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चुनाव से पहले क्यों ट्रेंड कर रहा है CAA?, डिटेल्ड रिपोर्ट, CAA को कब तक लागू करेगी केन्द्र सरकार

28 February 2024

सीएए यानी नागरिकता कानूनों को लेकर जो सोशल मीडिया पर ट्रेंड चल रहा है, इसे लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि केन्द्र सरकार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के ऐलान से पहले सीएए को लागू कर सकती है। हालांकि इसे लेकर गृह मंत्री अमित शाह भी साफतौर पर बयान दे चुके हैं।

अब चर्चा है कि आम चुनावों की आचार संहिता लागू होने से पहले सीएए को नोटिफाई किया जा सकता है। इसके लिए तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है। सरकार ने इसके लिए वेब पोर्टल भी बना लिया है। इस पोर्टल पर पड़ोसी देशों से आने वाले लोग अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे।

नागरिक संशोधन कानून को संसद से पास हुए 5 साल हो चुके हैं। अब केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इसे देश में लाने का मन बना रही है। गृह मंत्री अमित शाह कई बार अपने भाषणों में इसे लागू करने की बात कर चुके हैं।

क्या है CAA?

इस कानून के लागू होने के बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 2014 से पहले आने वाले अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान है। सरकार ने इसके लिए एक पोर्टल भी बना ली है, जिसे आने वाले समय में लॉन्च किया जाएगा। पड़ोसी मुल्क से आने वाले अल्पसंख्यकों को अपना पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। सरकार अल्पसंख्यकों की पड़ताल करेगी और उसके बाद बिना दस्तावेज दिए उन्हें नागरिकता दी जा सकेगी।

किन्हें मिलेगा CAA का फायदा?

नागरिकता कानूनों को संसद में पेश करने के वक्त से ही विपक्ष केन्द्र सरकार पर कई तरह के आरोप लगा रही है। हालांकि सरकार इस पर अपना रुख साफ कर चुकी है। प्रावधानों के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से जो लोग पलायन कर भारत आते हैं, इनके पास भारत की नागरिकता नहीं होती। इसके चलते ये सभी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में ये कानून अगर पास हो जाता है तो लोगों को वोट देने का अधिकार भी मिलेगा।
संसद के दोनों सदनों से ये कानून मंजूर हो चुका है। इसे सिर्फ लागू करना बाकी रह गया है। सरकार का कहना है कि ये कानून किसी भी मजहब विशेष के खिलाफ नहीं है। लेकिन विपक्ष का सवाल है कि सीएए का फायदा पड़ोसी देशों से आने वाले सिर्फ 4 धर्मों के लोगों को ही क्यों? इसमें वहां से आने वाली मुस्लिम आबादी को शामिल क्यों नहीं किया गया है. इस सवाल पर सरकार कहती है कि हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म को फायदा इसलिए, क्योंकि इन सभी धर्मों की शुरूआत भारत में हुई है। अगर इन धर्मों के लोग दूसरे देशों में किसी भी तरह के शोषण का शिकार होते हैं तो सबसे पहले भारत की तरफ ही देखते हैं। ऐसे में राहत देने के लिए इस कानून को लाया गया है।

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