Home राष्ट्रीय किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं बल्कि जीवनदाता भी- राष्ट्रपति मुर्मु

किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं बल्कि जीवनदाता भी- राष्ट्रपति मुर्मु

by Farha Siddiqui
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किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं बल्कि जीवनदाता भी, राष्ट्रपति मुर्मु, 62वें दीक्षांत समारोह में पहुंची राष्ट्रपति

09 February 2024

62वें दीक्षांत समारोह में पहुंची राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने आईएआरआई के 62वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि किसान न सिर्फ “अन्नदाता” है, बल्कि “जीवनदाता” भी है। वो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दे रहे हैं। मुर्मू ने कहा,हम अपने किसानों की समस्याओं को जानते हैं। आज भी बहुत से किसान गरीबी में जी रहे हैं। ये सुनिश्चित करने के लिए कि उन्हें उनकी फसल की सही कीमत मिले और उनकी आजीविका में सुधार हो, हमें इस दिशा में और भी ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है।

किसानों के धरना प्रदर्शन को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि कुछ किसानों को गरीबी से बाहर निकालने और उनकी उपज का सही मूल्य सुनिश्चित करने के लिए और अधिक कार्रवाई किए जाने की ज़रुरत है।

2047 तक विकसित राष्ट्र बनेगा देश

राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि 2047 तक देश एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा और किसान भी विकास देखेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए तेजी से कोशिश कर रही है। नयी कृषि पद्धतियों को

बढ़ावा देना, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और फसल बीमा, स्वास्थ्य कार्ड और किसान संपदा योजना जैसी योजनाएं किसानों की आय दोगुनी करने में एक बड़ी भूमिका निभाएंगी। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति मुर्मू ने कृषि क्षेत्र में आईएआरआई की मेरा गांव, मेरा गौरव पहल की सराहना करते हुए देश की खाद्य सुरक्षा हासिल करने में इसके योगदान को भी बताया। उन्होंने कहा कि आईएआरआई के तहत विभिन्न स्कूल कृषि सुधार की दिशा में काम कर रहे हैं। इससे 2005 और 2020 के बीच 100 से अधिक फसल किस्मों का विकास किया गया। और इतनी ही संख्या का पेटेंट कराया है। आईएआरआई ने पड़ोसी देशों में सॉफ्ट पावर को भी बढ़ावा दिया है।

30 उन्नत फसल वैरायटी और प्रकाशनों का विमोचन

62वें दीक्षांत समारोह के मौके पर कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने आईएआरआई की 30 उन्नत फसल किस्मों और प्रकाशनों का विमोचन किया। आईएआरआई के निदेशक और कुलपति ए. के. सिंह ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का सफर 1905 में बिहार के पूसा से शुरू हुआ था। संस्थान का मिशन भोजन, पोषण और आजीविका सुरक्षा के लिए विज्ञान के नेतृत्व वाली टिकाऊ और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी कृषि के लिए नेतृत्व प्रदान करना है।

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