Bihar Election 2025 : बिहार में पहले से ही वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विवाद हो रहा है. दूसरी तरफ तेजस्वी यादव से जुड़ा एक और मामला सामने आया है जहां पर पत्रकार संगठन ने उनके बयान पर विरोध जताया है.
Bihar Election 2025 : बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासत गरम है. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने वोटर पुनरीक्षण को लेकर हमला बोल दिया है और SIR को महज दिखावा बताया है. वहीं, दूसरी तरफ एक पत्रकार संगठन ने तेजस्वी यादव की अपमानजनक टिप्पणी को लेकर मोर्चा खोल दिया है और उनसे माफी मांगने की मांग की है. मामला यह है कि नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष रास बिहारी ने एक बयान में तेजस्वी यादव पर मीडिया पर बेस्वाद टिप्पणी करने का आरोप लगाया और कहा कि अगर तेजस्वी यादव माफी नहीं मांगते हैं तो उनका संगठन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से इस बारे में चर्चा करेगा.
ऑपरेशन सिंदूर की खबरों का दिया हवाला
मामला यह है कि बिहार में पत्रकारों से चर्चा के दौरान तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग के सूत्रों का हवाला देते हुए कुछ खबरों को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा कि हम ऐसे ‘सूत्र’ को ‘मूत्र’ मानते हैं. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी शहरों पर कब्जा करने वाली खबरें भी चलाई थीं जिसमें सूत्रों का हवाला दिया गया था. RJD नेता से चुनाव आयोग के सूत्रों पर आधारित उन रिपोर्टों के बारे में पूछा गया था जिनमें दावा किया गया था कि बिहार में वोटर्स लिस्ट में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान में घर-घर जाकर की गई पड़ताल के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से बड़ी संख्या में लोग आए थे.
सत्ताधारी दल ने किया समर्थन
बता दें कि विपक्ष ने चुनाव आयोग के इस अभियान की खुली निंदा की है और वह कह रहे हैं कि अगर वह इस तरह कदम उठाते हैं तो हम चुप नहीं बैठेंगे. वहीं, भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने इसका समर्थन किया है. सत्ताधारी पार्टी का कहना है कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल योग्य मतदाता ही अक्टूबर-नंवबर में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाग ले सकें. विपक्ष ने आरोप लगाया कि है कि इसका उद्देश्य सत्तारूढ़ गठबंधन को लाभ पहुंचाने के लिए गरीब मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना है. वहीं, 80 प्रतिशत से ज्यादा फॉर्म भराए जाने वाले दावे पर तेजस्वी ने सवाल किया कि अगर यह आंकड़ा सच है तो इसमें कितने फॉर्म सत्यापित है.
यह भी पढ़ें- शिवसेना चुनाव चिह्न विवाद: किसका होगा ‘धनुष-बाण’? एकनाथ या उद्धव, अगस्त में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
