Belpatra Rules in Sawan: अगर आप चाहते हैं कि आपकी पूजा पूर्ण फलदायक हो और भोलेनाथ की कृपा सदा बनी रहे, तो आपको बेलपत्र अर्पित करने के नियम और सावधानियों को जरूर जान लेना चाहिए.
Belpatra Rules in Sawan: श्रावण मास की शिवभक्ति में बेलपत्र का विशेष महत्व है. शिवलिंग पर जलाभिषेक के बाद बेलपत्र चढ़ाना सदियों पुरानी परंपरा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेलपत्र की पूजा में की गई एक छोटी सी गलती भी आपकी आराधना को निष्फल बना सकती है? अगर आप चाहते हैं कि आपकी पूजा पूर्ण फलदायक हो और भोलेनाथ की कृपा सदा बनी रहे, तो आपको बेलपत्र अर्पित करने के नियम और सावधानियों को जरूर जान लेना चाहिए.
बेलपत्र क्यों है भोलेनाथ को प्रिय?
शास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. इसके तीन पत्ते त्रिदेवों, ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं. साथ ही ये सत्व, रजस और तमस गुणों का भी प्रतीक माने जाते हैं. सावन के पवित्र महीने में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना न केवल पुण्यदायी है, बल्कि इससे जीवन के कष्ट भी दूर होते हैं.
बेलपत्र अर्पण करने का सही तरीका
बेलपत्र चढ़ाते समय इन नियमों का पालन करें:

- बेलपत्र हमेशा तीन पत्तियों वाला हो, और वह कहीं से भी फटा या कटा हुआ नहीं होना चाहिए.
- बेलपत्र की पत्तियों पर चंदन लगाएं, और पत्ते का वह भाग जिसमें डंडी हो, नंदी महाराज की ओर रखें.
- बेलपत्र अर्पण करते समय “ॐ बेलपत्राय नमः” मंत्र का जाप करें.
- बेलपत्र को शिवलिंग पर संकल्प लेकर चढ़ाएं, ताकि पूजा का प्रभाव और भी गहरा हो.
- सूखा, मुरझाया या खराब बेलपत्र कभी भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए.
इन गलतियों से बचें, नहीं तो पूजा हो जाएगी निष्फल
कई बार श्रद्धा में गलती हो जाती है, लेकिन शिवपूजन में लापरवाही अशुभ प्रभाव दे सकती है. याद रखें:
- टूटा, सूखा या मुरझाया बेलपत्र ना चढ़ाएं.
- शिवलिंग पर उल्टा बेलपत्र ना रखें, यानी पत्तियों का मुंह ऊपर की ओर हो.
- बिना चंदन लगाए बेलपत्र चढ़ाने से पूजा अधूरी मानी जाती है.
- बेलपत्र को धोकर ही चढ़ाएं, गंदा या धूल लगा पत्ता अर्पण करना वर्जित है.
बेलपत्र सही विधि से चढ़ाएं, तभी मिलेगा महादेव का आशीर्वाद
सावन शिवभक्ति का महीना है, लेकिन पूजा तभी सफल मानी जाती है जब वह शास्त्र सम्मत हो. बेलपत्र चढ़ाने की यह परंपरा एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावी साधना है. सही विधि से बेलपत्र अर्पण करने पर भगवान शिव अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उन्हें दीर्घायु, सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इसलिए अगली बार जब आप मंदिर जाएं, तो इन नियमों को ज़रूर याद रखें, ताकि भोलेनाथ की कृपा आप पर सदा बनी रहे.
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